17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Saraswati Puja 2021: बसंत पंचमी कल, पहली बार मंजूषा में स्थापित होगी अजंता शैली में बनी सरस्वती प्रतिमा, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लगेगा मेला

भागलपुर में पहली बार 17 फीट की मंजूषा के बीच अजंता शैली में बनी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित होगी. कला केंद्र के छात्र-छात्रा विष्णु दास, इमरान खान, आलोक, ब्यूटी, अंजलि, मेघा कला केंद्र के प्राचार्य रामलखन सिंह गुरुजी एवं युवा रंगकर्मी चैतन्य प्रकाश के निर्देशन में मंजूषा का वास्तविक स्वरूप तैयार कर रहे हैं. कला केंद्र में अजंता शैली में बनी प्रतिमा की पूजा होगी.

भागलपुर में पहली बार 17 फीट की मंजूषा के बीच अजंता शैली में बनी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित होगी. कला केंद्र के छात्र-छात्रा विष्णु दास, इमरान खान, आलोक, ब्यूटी, अंजलि, मेघा कला केंद्र के प्राचार्य रामलखन सिंह गुरुजी एवं युवा रंगकर्मी चैतन्य प्रकाश के निर्देशन में मंजूषा का वास्तविक स्वरूप तैयार कर रहे हैं. कला केंद्र में अजंता शैली में बनी प्रतिमा की पूजा होगी.

बिहुला-विषहरी लोक गाथा में वर्णित मंजूषा जैसी आकृति बनायी जा रही

कला केंद्र के प्राचार्य रामलखन सिंह गुरुजी ने बताया कि कला केंद्र में अलग-अलग विधा के कलाकार पूजा करेंगे. इससे पहले कला केंद्र में कागज व रद्दी से इकोफ्रेंडली प्रतिमा तैयार कर पूजा की गयी थी. चैतन्य प्रकाश ने बताया कि बिहुला-विषहरी लोक गाथा में वर्णित मंजूषा जैसी आकृति बनायी जा रही है. जिससे सती बिहुला को समुद्र के रास्ते स्वर्ग रास्ते जाने का वर्णन है.

नन्हे व कोमल अंगुलियों ने प्रतिमा को कर दिया जीवंत, मां की वास्तविक साधना

किलकारी में मूर्तिकला का प्रशिक्षण पा रहे आठ वर्षीय किशन, सावन व दीपक ने मां सरस्वती की प्रतिमा अलग-अलग शैली में तैयार की है, जो किसी को एक बार जरूर आकर्षित करेगी. इन नन्हे व कोमल अंगुलियों ने प्रतिमा को जीवंत बना दिया. उनका मानना है कि मां की वास्तविक साधना यही है. किशन के पिता गौतम साह घूम-घूमकर कपड़ा बेचते हैं, जबकि सावन के प्रति एक प्राइवेट क्लिनिक में कर्मचारी हैं. दोनों का लगन देखकर पिता भी खुश हैं. मूर्तिकार मनोज कुमार के निर्देशन में मूर्तिकला का प्रशिक्षण मिल रहा है. उनकी कला को देखकर खुद शिक्षक व सहपाठी भी हैरत में है.

Also Read: Saraswati Puja 2021: जानें Basant Panchami में ‘नील सरस्वती’ की पूजा क्यों जरूरी, क्या है इनका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
गीत-संगीत व रंगकर्म की साधना से करेंगे पूजा

इधर किलकारी के प्रशिक्षक साहिल के निर्देशन में नितेश, राहुल, शुभ, रेणु, बरखा, मुस्कान, शुभ, अजीत राज, अनुराग, रागिनी गीत-संगीत व अभिनय की साधना कर रहे हैं, ताकि सरस्वती मां की वास्तविक पूजा कर सकूं. कर्म ही पूजा है. मां की पूजा तभी सार्थक होगी, जब हमलोग विद्या अर्जन करेंगे. काल्पनिक पूजा से कर्म रूपी वास्तविक पूजा जरूरी है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें