दीपक राव,भागलपुर: इस सावन शिव मंदिरों व गंगा तटों पर पूजन में टनों बेलपत्र व फूल चढ़ाये जायेंगे. नगर निगम की ओर से इसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने पर ये बेलपत्र व फूल गंगा व नाला में सड़कर पर्यावरण को प्रदूषित करेंगे.
मंदिर प्रबंधक व बेलपत्र विक्रेताओं की मानें तो सावन व अन्य बड़े धार्मिक आयोजन के लिए विभिन्न शिव मंदिरों में चढ़ाने लिए बेलपत्र कोलकाता, जमुई व स्थानीय क्षेत्र जगदीशपुर, सबौर, विश्वविद्यालय क्षेत्रों से आयेंगे.
पूरे सावन माह में 11 लाख बेलपत्र बूढ़ानाथ मंदिर में चढ़ाया जायेगा. अन्य शिवालय शिव शक्ति मंदिर, भूतनाथ, मनसकामना नाथ, कुपेश्वरनाथ, राणी सती मंदिर में भी लाखों बेलपत्र चढ़ाये जायेंगे. जिले के शिव मंदिरों में करोड़ों बेलपत्र भगवान शंकर पर चढ़ाये जायेंगे.
भागलपुर नगर निगम व उद्योग विभाग की ओर से फूल व बेलपत्र के निस्तारण को लेकर कोई योजना नहीं बनायी गयी है. हालांकि सिटी मैनेजर रवीशचंद्र वर्मा ने बताया कि भविष्य में योजना बनायी जायेगी. कोई भी वेस्टेज अब संसाधन है. जैविक खाद बनाने की योजना बनायी जायेगी. साथ अगरबत्ती व सेंट बनाये जायेंगे.
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शिव शक्ति मंदिर के महंत अरुण बाबा बताते हैं कि शिव-पुराण के अनुसार एक बेलपत्र चढ़ाने से तीन जन्म का पाप धुल जाता है. बेलपत्र रज, तम और सत गुण से संपन्न है.
बाबा बैद्यनाथ पर रोज अर्पित होने वाले फूल और बेलपत्र को इधर-उधर फेंकने की जगह अब इससे खाद बनाने की पहल शुरू हुई है. राजेन्द्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर और आईसीएआर भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के साथ मिलकर देवघर कृषि विज्ञान केंद्र ने फूल और बेलपत्र से ऑर्गेनिक खाद बनाने की शुरुआत की है.
दरअसल बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करते हैं. इसी क्रम में वे फूल और बेलपत्र भी चढ़ाते हैं. मंदिर प्रबंधन के सामने इन्हें निबटाने की बड़ी चुनौती थी. मंदिर परिसर को साफ-सुथरा रखने में भी परेशानी आ रही थी. इसको देखते हुए देवघर कृषि विज्ञान केंद्र ने यह तरकीब निकाली. मंदिर से निकले इन फूल-बेलपत्रों से केंचुआ खाद बनाया जा रहा है. इससे जैविक खेती करने वाले किसानों को काफी लाभ मिलेगा. फिलहाल 8 रुपये प्रति किलो की दर से यह खाद बिक रहा है.
नोएडा के मंदिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाने वाले फूलों व अगरबत्ती को चढ़ाने के बाद फेंक दिया जाता था. नोएडा प्राधिकरण ने फूलों से अगरबत्ती बनाने की खास योजना बनायी. इससे महिलाओं को स्वरोजगार को बढ़ावा देने की योजना है. इसे लेकर मंदिर समितियों का कहना है कि इस योजना से मंदिरों को काफी मदद होगी क्योंकि पूजा सामग्री का निस्तारण उनके लिए चिंता का विषय रहता था लेकिन अब इस योजना से उन्हें काफी राहत मिलेगी.
यदि भागलपुर में बेलपत्र व फूल के वेस्टेज के निस्तारण की व्यवस्था होती तो दोहरी कमाई होती. पहले फूल व बेलपत्र सामान्य रूप से बिकते हैं. इससे लाखों की प्रतिदिन कमाई होती है. यदि इसके वेस्टेज से अगरबत्ती व जैविक खाद तैयार किया जाता तो यहां के बेरोजगार को रोजगार मिल जाता. उनकी कमाई का साधन बन जाता.
बूढ़ानाथ मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी सिंह ने बताया कि पूरे सावन माह में बाबा बूढ़ानाथ को 11 लाख बेलपत्र चढ़ाया जायेगा. यह बेलपत्र जगदीशपुर, सबौर, विश्वविद्यालय क्षेत्रों से मंगाया जाता है. आदमपुर शिवशक्ति मंदिर के महंत अरुण बाबा ने बताया कि यहां पर कचहरी परिसर, श्रम विभाग परिसर से, आकाशवाणी, बौंसी, श्याम बाजार आदि क्षेत्रों से मंगाया जाता है.
Published By: Thakur Shaktilochan