शब-ए-बारात की रात गुनाहों से माफी की रात

शब-ए-बारात की रात गुनाहों से माफी की रात है. 13 फरवरी को मनाया जायेगा. इस्लामिक कैलेंडर के शाबान का 15वीं तारीख को शब-ए-बारात मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 2, 2025 9:09 PM

शब-ए-बारात की रात गुनाहों से माफी की रात है. 13 फरवरी को मनाया जायेगा. इस्लामिक कैलेंडर के शाबान का 15वीं तारीख को शब-ए-बारात मनाया जाता है. मगरिब की नमाज के बाद लोग अपने-अपने पूर्वेजों की क्रबों के पास जाकर उनकी मगफिरत के लिए दुआ मांगते है. इसे लेकर लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है. घरों व कब्रिस्तानों की साफ-सफाई कराने में जुटे हें. उक्त बातें मदरसा जामिया शहबाजिया के हेड शिक्षक मुफ्ती फारूक आलम अशरफी ने कही. बताया कि ये उन पांच रातों में एक होती है. इसमें अल्लाह अपने बंदों की दुआ को कबूल फरमाते हैं. बताया कि शब-ए-बारात की रात मस्जिदों व घरों में जाग कर अल्लाह की इबादत करते हैं. अपनी गुनाहों की माफी मांगते है. दूसरे दिन रोजा रखते है.

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इमाम हुसैन की जिंदगी इंसानियत व हक पर चलने की हिदायत

हजरत इमाम हुसैन की यौमे पैदाइश के मौके पर रविवार को असानंदपुर स्थित हैदरी कंपाउंड में महफिल आयोजित किया गया. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीन शाबान को मदीना में हजरत इमाम हुसैन का जन्म हुआ था. इस अवसर पर मौलाना नासिर हुसैन ने बयान करते हुए कहा कि हजरत इमाम हुसैन की जिंदगी इंसानियत व हक पर चलने की हिदायत देती है. हजरत ने करबला में अपनी और अपने रिश्तेदारों की शहादत देकर दीन-ए-इस्लाम को बचाने का काम किया. वहीं, इम्तियाज अली, फैज नकी, वकार हैदर, अहमद अब्बास आदि ने रूबाई पढ़ी. उधर, छोटा इमामबाड़ा में भी महफिल का आयोजन किया गया. जबकि बड़ा इमामबाड़ा में महिलाओं की महफिल आयोजित किया गया. दूसरी तरफ जिला शिया वक्फ कमेटी के सचिव जीजाह हुसैन ने हजरत इमाम हुसैन की यौमे पैदाइश पर सभी को मुबारकवाद दी है.

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