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शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का भागलपुर से है गहरा नाता, 148वीं जयंती पर कई जगहों पर हुआ समारोह

अमर कथाकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की 148 वीं जयंती पर बंगीय साहित्य परिषद, भागलपुर समेत अन्य स्थानों पर समारोह का आयोजन किया गया

By Anand Shekhar | September 15, 2024 9:17 PM

शरतचंद्र की रचनाओं में नारियों के प्रति अपार श्रद्धा है एवं नैतिक मूल्यों का बोध होता है. इसलिए बिहार सरकार के शिक्षा विभाग को शरदचंद्र की लिखी हुई ”रामेर सुमति”, ”बिंदुर छेले”, तथा ”निष्कृति” पुस्तक का हिंदी अनुवाद मैट्रिक, इंटरमीडिएट एवं स्नातक के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए. उक्त बातें सचिव अंजन भट्टाचार्य ने रविवार को बंगीय साहित्य परिषद, आदमपुर चौक पर कही. मौका था अमर कथा शिल्पी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की 148वीं जयंती पर समारोह का.

आगे उन्होंने बताया कि शरतचंद्र बहुत ही अच्छे गायक भी थे. वर्मा की राजधानी रंगून में प्रवास के दौरान उन्हें गायन के लिए रंगून रत्न की उपाधि दी गयी थी. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत बंगीय साहित्य परिषद के परिसर में स्थापित शरतचंद्र की प्रतिमा पर उपाध्यक्ष डॉ शर्मिला बागची एवं डाॅ सुजाता शर्मा ने माल्यार्पण कर की. डाॅ शर्मिला बागची ने शरतचंद्र को स्मरण करते हुए कहा कि आज समाज में नारी के साथ अत्याचार और असम्मान किया जा रहा है.

अगर शरतचंद्र जीवित रहते, वे निश्चित ही इसके विरोध में एक और उपन्यास लिखे होते, जो साहित्य जगत में जगह बना लिया होता. कार्यक्रम में रघुनाथ घोष, दीपलेखा घोष, शांतनु गांगुली, सुदीप घोष, सुजय सर्वाधिकारी, सोमनाथ सरकार, प्रशांत दास, परिमल वनिक, स्नेहेश बागची, प्रज्वल सान्याल, प्रमित गुप्ता, देवाशीष मजूमदार, देव कुमार कुमार नियोगी, गौरव कुमार आदि उपस्थित थे.

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भागलपुर से शरतचंद्र का गहरा नाता रहा है

साहित्य सफर की ओर से शिक्षण संस्थान, मंदरोजा में भी शरतचंद्र की जयंती पर कार्यक्रम हुआ. अध्यक्षता संस्था के संस्थापक जगतराम साह कर्णपुरी ने की. रंजन कुमार राय ने कहा कि भागलपुर की धरती से अनेक साहित्य जीवियों से जुड़ाव रहने का इतिहास रहा है. उन्हीं में से एक हैं बंगाली साहित्यकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय भी हैं. शरतचंद्र का भागलपुर से गहरा नाता रहा है. मुख्य अतिथि साहित्यकार प्रेम कुमार प्रिय थे. इस मौके पर अजय शंकर प्रसाद, संतोष ठाकुर अनमोल, राजीव रंजन, हिमांशु शेखर, शिवम कुमार, इंद्रजीत सहाय उपस्थित थे.

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