Shardiya Navratri 2024: भागलपुर. महालया आज यानी, बुधवार को है और इस दिन पितृ पक्ष का समापन हो जायेगा. इस दिन लोगों द्वारा विभिन्न गंगा घाटों पर अपने दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जायेगी. गंगा तटों पर पूर्वजों का तर्पण करेंगे. इधर, सुबह चार बजे से महालया पाठ होने लगेगा. कालीबाड़ी दुर्गा मंदिर के महासचिव विलास कुमार बागची ने बताया कि बंगाली रीति रिवाज से जहां पूजा शुरू होगी, वहीं साफ-सफाई के साथ वीरेंद्र कृष्ण भद्र के महालया पाठ होने लगेगा है. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारंभ हो जायेगा. उन्होंने बताया कि इसमें मां दुर्गा की पूजा करते हैं. नवरात्रि या दुर्गा पूजा के लिए जो प्रतिमाएं बनाई जाती हैं, उनमें आंखें महालया के दिन ही लगाते हैं. तीन अक्टूबर यानी, गुरुवार को कलश स्थापना पूजन के लिए सुबह पांच बजे के बाद से लेकर दोपहर के तीन बजे तक शुभ मुहूर्त है.
महालया के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि हो जायेगा आरंभ
महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं. देवी के इसी क्रम को महालया कहते हैं. वहीं, इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रूप में भी देखा जाता है. इसके अगले दिन शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जायेगी. कलश स्थापना की जायेगी. बंगाली समाज में इसकी तैयारी कर ली गयी है. वे लोग ‘जागो तुमि जागो’ (तुम जागो) कहकर अलसुबह उठेंगे और चंडी पाठ सुनेंगे. इसके लिए रेडियो के साथ ही घर-घर में मोबाइल पर भी देवी से संबंधित श्लोक व गीत सुनने की व्यवस्था की गयी है. चंडी पाठ के महिषासुर मर्दिनी अध्याय में मां दुर्गा के जन्म और राक्षस राजा महिषासुर पर उनकी अंतिम विजय का वर्णन है. इसे सुनने के बाद ही लोग अन्न-जल ग्रहण करेंगे.
नौ दिनों तक प्रज्ज्वलित होगी आस्था की ज्योति
मां दुर्गा की उपासना को लेकर भागलपुर वासी काफी उत्साहित हैं. शहर से लेकर गांव तक पूरे जोर-शोर से दुर्गा उत्सव की तैयारियां चल रही हैं. महालया के अगले दिन यानी गुरुवार को ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में घरों, दुर्गा मंदिरों से लेकर पूजा पंडालों तक में कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना के साथ नौ देवियों की पूजा शुरू की जायेगी. यह नवरात्र प्रतिपदा से शुरू होकर विजयादशमी 12 अक्तूबर को समाप्त होगा. कलश स्थापना को लेकर इन दिनों पूजन सामग्री, मां की पोशाक, चुनरी और कलश आदि की मांग बढ़ी है. भक्त कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने बाजार पहुंच रहे हैं.
नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की होगी आराधना
शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में तीन अक्तूबर (गुरुवार) को हस्त नक्षत्र, ऐंद्र योग एवं जयद् योग के साथ बुध प्रधान कन्या राशि में चंद्र व सूर्य की उपस्थिति में शुरू होगा. नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होगी. शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जायेगी. सनातन धर्मावलंबी निराहार या फलाहार रहते हुए अपने घर, मंदिर व पूजा पंडालों में घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्त्रोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र आदि का पाठ आरंभ करेंगे.
कलश स्थापना : शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि : सुबह से देर रात तक
हस्त नक्षत्र : शाम 03.30 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त प्रातः सुबह 05.44-07.12 बजे तक
चर मुहूर्त : सुबह 10.10-11.38 बजे तक
लाभ मुहूर्त : दोपहर 11.38- 01.07 बजे तक
अमृत मुहूर्त: दोपहर 01.07-02.35 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11.15-12.02 बजे तक
शुभ मुहूर्त : शाम 04.04-05.33 बजे तक
(अलग-अलग पंचांग के अनुसार समय में कुछ फेरबदल संभव )
मां दुर्गा के नौ रूपों की जानें खासियत
- शैलपुत्री : दुर्गा के इस रूप से हमें स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा मिलती है.
- ब्रह्मचारिणी : मां का यह यह रूप तपस्या का प्रतीक है.
- चन्द्रघण्टा : संदेश मिलता है कि संसार में सदा प्रसन्न होकर जीवन यापन करना चाहिए.
- कूष्माण्डा : मां का यह स्वरूप हमें संसार में स्त्री का महत्व समझाता है.
- स्कंद माता : मां का यह रूप हमें बताता है कि स्त्री हो या पुरुष, हर कोई ज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी है.
- कात्यायनी : यह रूप घर-परिवार में बेटी की महत्ता को बताता है.
- काल रात्रि : मां का यह रूप हमें स्त्री के भीतर विद्यमान अपार शक्ति का भान कराता है.
- महागौरी : मां का यह रूप हमें हर परिस्थिति में संयमित रहने की सीख देता है.
- सिद्धिदात्री : मां सिद्धिदात्री यानी हर सिद्धि को देने वाली हैं. स्त्रियों में भी यह गुण विद्यमान होता है.
पूजन सामग्रियों का सजा बाजार, खरीदारी भी शुरू
दुर्गा उत्सव को लेकर शहर के बाजार पूजन सामग्रियों से सज गये है. पूजा के लिए मिट्टी के कलश, नारियल, चुनरी, रोली, घी, धूप बत्ती, अगरबत्ती, हुमाद, सुपारी, जौ, कपूर सहित पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री की लोग खरीदारी कर रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि महंगाई के कारण लोगों के घर का बजट भले ही गड़बड़ा रहा है, लेकिन देवी की आराधना करने में भक्त कोई कमी नहीं करते दिख रहे हैं. श्रद्धालुओं के बजट के अनुसार पूजन सामग्री मौजूद हैं. नौ दिन के व्रत में अन्न से परहेज किया जाता है, इसलिए बाजार में कुट्टू, सिंघाड़ा और साबूदाना अन्य सामग्रियों के भी स्टॉक दुकानदारों ने कर रखा है.
उपवास के दौरान रखें अपनी सेहत का ख्याल
श्रद्धालुओं के लिए उपवास का अपना एक विशेष महत्व है, लेकिन इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उपवास के दौरान शरीर पर भी असर पड़ता है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि उपवास के दौरान शरीर की अनदेखी न करें. उपवास का निर्णय व्यक्तिगत है, अगर आप डायबिटीज हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. उपवास में आपके आहार व जीवन-शैली में बदलाव आता है, जिस पर अगर ध्यान न दिया जाये तो यह स्थिति कभी-कभी हानिकारक साबित हो सकती है. उपवास से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधित जटिलताओं के बारे में विचार करने के बाद ही व्रत रखने का निर्णय लें.
नौ दिन नौ देवियों को लगाएं उनकी पसंद का भोग
श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना होती है. इनमें मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की उपासना होती है. नवरात्र के नौ दिन नौ देवियों को अलग-अलग भोग लगाया जाता है. किसी देवी को नारियल, किसी को गाय का घी, गुड़, मालपुआ, खीर, हलवा और इसी तरह चना व पूड़ी का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है.
एक ही दिन मनेगी महाष्टमी व महानवमी
ज्योतिषी राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि दो दिन छह व सात अक्तूबर को रहेगी. वहीं, महाष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्तूबर (शुक्रवार) को किया जायेगा. नवरात्र के दौरान एक तिथि की वृद्धि और दो तिथि एक दिन हो जाने से दुर्गा पूजा पूरे 10 दिनों का रहेगा.
सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं लगेगा सूतक
सूर्यग्रहण बुधवार को लगेगा. हालांकि इसका सूतक भागलपुर सहित देशभर में नहीं लगेगा. यह ग्रहण दूसरे जगहों पर दिखाई देगा. सूर्यग्रहण 6 घंटे 4 मिनट तक रहेगा. सूर्यग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले ही लगता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है. यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यदि यह भारत में दिखाई देता तो इसका सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाता है. यह इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण है.