अजगैवीनाथ माहात्मय पुस्तक लिखकर शिव की आराधना का बताया महत्व
जहां भी गंगा उत्तरवाहिनी है, वहां प्रसिद्ध शिवमंदिर अवस्थित हैं.
– जहां भी गंगा उत्तरवाहिनी है, वहां प्रसिद्ध शिवमंदिर अवस्थित हैं. वरीय संवाददाता, भागलपुर सुल्तानगंज निवासी प्राणमोहन ””प्रीतम”” ने अजगैवीनाथ माहात्मय नामक पुस्तक लिखकर श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना एवं जलाभिषेक के महत्व की विस्तार से चर्चा की है. साहित्यकार व कलाकार प्राणमोहण ने प्रभात खबर से बातचीत में अजगैवीनाथ धाम के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि श्रावण मास में समस्त भारत के शिव मंदिरों में शिवभक्त कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ती है. देवघर स्थित रावणेश्वर वैद्यनाथ मंदिर एक प्राचीन एवं प्रसिद्ध शिवमंदिर है. हठयोगी और महान शिवभक्त रावण द्वारा कैलाश से शिवलिंग लंका ले जाने के क्रम में भूलवश शिवलिंग झारखंड के घने वन में ही स्थापित हो गया. अथक प्रयत्न के बाद भी शिवलिंग को रावण हिला न सका. थक हारकर रावण ने वहीं पर पूजन एवं जलाभिषेक किया. इस प्रकार वैद्यनाथ धाम में हिरण्यपुरी (वर्तमान सुलतानगंज) के गंगा तट से जल भरकर प्रतिदिन शिवलिंग का अभिषेक करने लगा. रावण के रूप में प्रथम कांवरिया का आविर्भाव हुआ और बाबा भोले रावणेश्वर कहलाये. रावणेश्वर वैद्यनाथ मंदिर से निकटवर्ती गंगा तट सुलतानगंज में है जहाँ उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. अजगैवीनाथ मंदिर में मनोकामना शिवलिंग स्थापित : साहित्यकार प्राणमोहन ने बताया कि जहां भी गंगा उत्तरवाहिनी है, वहां प्रसिद्ध शिवमंदिर अवस्थित हैं. हरिद्वार और काशी इनके अनुपम उदाहरण हैं. वहीं सुल्तानगंज व कहलगांव में उत्तर वाहिनी गंगातट पर अजगैवीनाथ व बटेश्वरनाथ महादेव का मंदिर है. मान्यतानुसार कांवर यात्रा के नियम घर से ही आरंभ हो जाते हैं. प्रत्येक कांवरियों को सर्वप्रथम अपने निकटतम शिवमंदिर में पूजन कर मंगलकारी यात्रा का निवेदन करना चाहिये. तत्पश्चात् यात्रा आरंभ करनी चाहिये. देवघर हेतु जल भरने से पूर्व हर कांवरिया को बाबा अजगैवीनाथ का दर्शन-पूजन एवं जल अवश्य चढ़ाना चाहिये. अजगैवीनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग ””मनोकामना शिवलिंग”” के नाम से प्रसिद्ध है. बाबा वैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिये की जाने वाली इस यात्रा में अजगैवीनाथ एवं बासुकीनाथ का दर्शन-पूजन एक सम्पूर्ण तीर्थयात्रा है.
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