भागलपुर स्मार्ट सिटी 162 करोड़ से बरारी घाट का कर रही सौंदर्यीकरण, लेकिन यहां नहाने लायक भी पानी नहीं

भागलपुर के बरारी पुल घाट की दुर्दशा. रिवर फ्रंट परियोजना के तहत घाट पर भव्य सीढ़ी बनाई गई. लेकिन घाट पर नदी में पानी नहीं है. जो बचा हुआ गंदा पानी है वो भी सीढ़ियों से 35 कदम दूर है

By Anand Shekhar | June 26, 2024 8:55 PM

River Front Development: भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड बरारी घाट पर रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर निर्माण कार्य कर रहा है. इस प्रोजेक्ट में पुल घाट भी शामिल है. प्रोजेक्ट पर एक अरब 62 करोड़ 68 लाख रुपये खर्च किया जा रहा है. अब तक 85 फीसदी कार्य पूरा होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन इतनी बड़ी रकम जिन घाटों के विकास के लिए खर्च की जा रही है, वहां नहाने के लायक भी पानी नहीं है. इसके इतर वर्तमान स्थिति पर गौर करें, तो पुल घाट पर बनायी गयी भव्य सीढ़ियों से बचा-खुचा गंदगी भरा पानी 35 कदम दूर है. इस पैसे की उपयोगिता साल के दो-तीन महीने ही महसूस हो पाती है, जब बरसात में जलस्तर बढ़ने पर गंगा पुल घाट तक पहुंचती है.

इस प्रोजेक्ट से फूड कियोस्क, वेंडिंग स्टॉल, टॉयलेट, कैफेटेरिया, यूटिलिटी ब्लॉक, कम्यूनिटी हॉल, इंटर्नल वाटर सप्लाई, पार्किंग लॉट, लैंडस्केपिंग, वर्टिकल प्लांटेशन, स्ट्रीट लाइटिंग, सीसीटीवी सिस्टम, मॉर्चरी, बर्निंग उड स्टोरेज, वेटिंग हॉल, पहुंच पथ, मंजूषा पेंटिंग, गेट, हाइमास्ट, फाउंटेन आदि का काम भी जुड़ा है. इस बात का जिक्र इस प्रोजेक्ट की डीपीआर में है.

गंगा में ड्रेजिंग हो गयी होती, तो पुल घाट का नजारा कुछ और होता

14 सितंबर 2023 को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के निदेशक (पटना) एलके रजक ने डीएम को पत्र भेजा था. निदेशक ने गंगा में ड्रेजिंग कार्य के समय सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया था. निदेशक ने कहा था कि बैरिया-मोहनपुर दियारा (भागलपुर से 10 किलोमीटर ऊपर) के आसपास ड्रेजिंग कार्य प्रस्तावित है. ड्रेजिंग के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा बाधा पहुंचायी जा सकती है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है.

ड्रेजिंग हो गया होता, तो भागलपुर और गंगा के बीच नेविगेशनल चैनल बन जाता और उत्तर की तरफ शिफ्ट हो चुकी गंगा इस चैनल के माध्यम से भागलपुर शहर के किनारे से भी बह रही होती. इससे हजारों लोगों को स्नान करने में सुविधा होती. घाट किनारे के व्यवसायियों का व्यवसाय समृद्ध होता. नाविकों व मछुआरों के दिन फिर गये होते.

बरारीपुल घाट पर गर्मी से राहत पाने के लिए टयुब में बैठकर आनंद लेते लोग

यह दर्द वही महसूस करते हैं, जो अनजाने घाट पर आते हैं

  • बरारी सीढ़ी घाट पर गंगा महाआरती प्राय: हर दिन होती है. इसमें काफी संख्या में लोग शामिल होते हैं. कभी-कभी विशेष आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ हो जाती है. इन श्रद्धालुओं को हाथ-पांव धोने तक के लिए चापाकल ढूंढ़ना पड़ता है.
  • कहने के लिए बरारी के लोगों के बारे में दूसरे जिले के लोग यही जानते हैं कि यह गंगा किनारे बसा हुआ मोहल्ला है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बरारी के लोग भी घर में पूजा-पाठ के लिए नवगछिया तरफ से गंगाजल मंगाते हैं.
  • बरारी में श्मशान घाट है. यहां प्रतिदिन औसतन 25 से 30 शवों का दाह-संस्कार होता है. प्रत्येक शव-यात्रा में कम से कम 20-25 लोग आते हैं. दाह-संस्कार के बाद वे सभी लोग बिना गंगा में स्नान किये निराश होकर लौट जाते हैं या स्नान के रूप में रस्म अदायगी करते हैं.
  • पुल घाट पर पूजन व शवदाह सामग्री, नाश्ता, मिठाई, खिलौने, भोजन की छोटी-बड़ी 40-50 दुकानें हैं. जब पुल घाट पर नदी में प्रवाह था और लोग यहां स्नान करने बड़ी संख्या में आते थे, तो इन दुकानों की चांदी होती थी. आज स्थिति निराश करने वाली है.

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