सावन की पहली सोमवारी को लेकर विभिन्न जिलों भागलपुर, बांका, मुंगेर, गोड्डा, दुमका से आये कांवरियों के लिए रविवार को शहर के किसी गंगा घाट पर समुचित सुविधा नहीं दी गयी. महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए घर की सुविधा नहीं दी गयी है. कहीं बेरिकेडिंग नहीं की गयी थी तो कहीं रोशनी की व्यवस्था नहीं तो कहीं सफाई व्यवस्था सुदृढ़ नहीं थी. गंगा तटों पर नहीं दिखी पुलिस की सक्रियता, असामाजिक तत्व गांजा पी रहे थे
महिलाओं को परेशानी
पुल घाट व बरारी सीढ़ी घाट पर कपड़े बदलने के पुराने घर बने जरूर थे, लेकिन यहां अब स्नान करने के लिए उपयुक्त घाट नहीं था. जहां नये घाट बनाये गये थे, वहां से पुराना घर बहुत दूर था. नये घाट पर अस्थायी घर भी नहीं बनाये गये थे. कहीं महिला कांवरियों को कपड़े बदलने का घर तक नहीं बनाया गया था. इससे उन्हें कपड़े बदलने में परेशानी का सामना करना पड़ा.
बरारी पुल घाट का रास्ता खराब बरारी पुल घाट का रास्ता बहुत खराब है. गंदगी व गड्ढे कांवरियों के लिए बड़ी परेशानी बन गये थे. ——–कहीं नहीं बना कांवरियों के लिए पंडाल
शहर के किसी घाट पर कांवरियों के लिए पंडाल नहीं बनवाया गया और न ही कहीं एंबुलेंस लगाये गये हैं. कूड़ा फेंकने के लिए न ही कूड़ादान लगाया गया है. एसएम कॉलेज सीढ़ी घाट मार्ग में राजभाषा पुस्तकालय के समीप व हनुमान घाट के पूरे मार्ग में जगह-जगह निर्माण सामग्री बिखरी रही.कांवरियों का नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन
पहले कांवरियों का रजिस्ट्रेशन हर सावन के रविवार को विभिन्न घाटों पर होता था. इस बार कहीं भी कांवरियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. इससे डाक बम के लिए सरकारी आंकड़ा तैयार करना मुश्किल हुआ. कांवरियों का कहना है कि रजिस्ट्रेशन कराने से अनहोनी से निबटने में लाभ मिलता है.हनुमान घाट में जगह-जगह नहीं है रोशनी व्यवस्था
हनुमान घाट मार्ग में जगह-जगह रोशनी व्यवस्था नहीं है. इससे कांवरियों को रात्रि में परेशानी का सामना करना पड़ा. कांवरियों को घाट पर भी बेरिकेडिंग नहीं होने गहरे गड्ढे में जाने का डर बना रहा.
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