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आज से गूंजेंगे बिहुला-विषहरी के गीत

अंग जनपद की लोकगाथा पर आधारित सती बिहुला-विषहरी पूजा मंगलवार को पहली व छोटी डलिया चढ़ाने के साथ शुरू हो जायेगी.

अंग जनपद की लोकगाथा पर आधारित सती बिहुला-विषहरी पूजा मंगलवार को पहली व छोटी डलिया चढ़ाने के साथ शुरू हो जायेगी. कलश स्थापना भी की जायेगी. इसी के साथ अंग प्रदेश का विभिन्न इलाका बिहुला-विषहरी गीत गूंजने लगेगा. इससे पहले सोमवार चंपानगर स्थित मनसा मंदिर में गंध-धूप के साथ पूजा शुरू हुई. 17 अगस्त से तीन दिवसीय मुख्य पूजा की शुरुआत होगी. परंपरा के अनुसार क्षेत्र की महिलाएं डलिया चढ़ाने के साथ-साथ बिहुला-विषहरी की गीत गायेंगी. आज महिलाएं रखेंगी व्रत

चंपानगर के युवा श्रद्धालु हेमंत कश्यप ने बताया कि मुख्य मंदिर चंपानगर विषहरी स्थान में मंगलवार को दिनभर महिलाएं व्रत कर शाम को मंदिर में माता विषहरी को पहली डलिया चढ़ाने के बाद ही शाकाहारी भोजन करेंगी. 17 अगस्त को महिलाएं बड़ी डलिया चढ़ाती हैं.

17 से 19 अगस्त तक होगा मुख्य आयोजन

सामाजिक कार्यकर्ता जगतराम साह कर्णपुरी ने बताया कि सती नारियों के इतिहास में बिहुला का खास स्थान है. ऐसी मान्यता है कि अपने सतीत्व के बल पर ही इंद्रासन तक पहुंच कर अपने मृत पति, उनके छह भाइयों व मल्लाहों को पृथ्वी पर जिंदा लौटा लायी थी. इसी लोक गाथा को लेकर भागलपुर, बांका आदि अंग क्षेत्रों में बिहुला-विषहरी की पूजा होती है. जगह-जगह मेला भी लगता है. 17 अगस्त से 19 अगस्त तक भागलपुर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक, धार्मिक व सांस्कृतिक माहौल बन जाता है.

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