सृजन घोटाला: 14 वर्षों तक सरकारी खजाने से अरबों का घपला, रजनी प्रिया DM के चेक से करती रही करोड़ों का खेल
बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में सृजन संस्थान की तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया के खिलाफ सीबीआइ को इश्तेहार चिपकाने की इजाजत मिल गयी है. अरबों रुपये के इस खेल की हकीकत जानें
Srijan Scam Bihar: अरबों रुपये के सृजन घोटाला में एक दर्जन से अधिक मामलों में फरार चल रही सृजन संस्थान की तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया के खिलाफ सीबीआइ को इश्तेहार चिपकाने की इजाजत मिल गयी है. सीबीआइ के विशेष जज ने मंगलवार को इश्तेहार निर्गत कर दिया.
तत्कालीन डीएम के हस्ताक्षर से 15 करोड़ का बंदरबांट
उक्त मामले में रजनी प्रिया पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वर्ष 2009 में भागलपुर के तत्कालीन डीएम के हस्ताक्षर से जारी पांच-पांच करोड़ के तीन चेक का सृजन संस्थान के खाते में स्थानांतरित कर बंदरबांट कर लिया. उक्त घोटाले में रजनी प्रिया अभी तक फरार चल रही है.
रजनी प्रिया के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज
रजनी प्रिया के खिलाफ एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं और अभी तक उपस्थित नहीं हुई है. अब सीबीआइ उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए धारा 82 की कार्यवाही के बाद संपत्तियों को जब्त करने के लिए धारा 83 की कार्यवाही के लिए न्यायालय से अनुरोध करेगा.
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14 वर्षों तक सरकारी खजाने से घोटाला चलता रहा
14 वर्षों तक सरकारी खजाने से घोटाला चलता रहा था. इसके बाद वर्ष 2017 में मामला दर्ज होने से एक रात पहले ही सृजन की तत्कालीन सचिव मनोरमा देवी का पुत्र अमित कुमार व अमित की पत्नी रजनी प्रिया फरार हो गये थे. इसके बाद आज तक न तो अमित कुमार को सीबीआइ पकड़ सकी और न रजनी प्रिया को ही.
नीलामपत्र वाद की हुई सुनवाई
सृजन घोटाला मामले में जिला कल्याण कार्यालय के बैंक खाते से हुए घोटाले की राशि वापस करने को लेकर मंगलवार को नीलामपत्र वाद की सुनवाई हुई. इसमें बैंक ऑफ इंडिया की ओर से पूर्व में रिव्यू पेटिशन दिया गया था, ताकि राशि जमा करने के बैंक को दिये गये आदेश पर पुनर्विचार किया जा सके. इस पर जिला कल्याण कार्यालय ने अपना जवाब सौंपा था. इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. मामले की सुनवाई डीडीसी द्वारा की जा रही है.
सरकारी खजाने की राशि वसूली प्रक्रिया
सृजन घोटाला में गयी सरकारी खजाने की राशि वसूली करने के लिए जिला कल्याण कार्यालय के मामले में नीलामपत्र वाद की सुनवाई वर्ष 2019 से चल रही है. पूर्व में नीलामपत्र पदाधिकारी ने विभिन्न बैंकों को राशि वापस करने का आदेश दिया था. लेकिन किसी बैंक ने राशि वापस नहीं की. आदेश के विरुद्ध कुछ बैंक हाइकोर्ट भी गये.
Published By: Thakur Shaktilochan