प्रतिमा निर्माण पर महंगाई की मार, पांच साल में दोगुना बढ़ गया खर्च

वसंत पंचमी आने में अब 20 दिन बचे हैं. शहर के 100 से अधिक स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्वरूप में आने लगी हैं. हर स्थान पर अभी से ही प्रतिमाओं के आर्डर मिलना शुरू हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2025 9:07 PM

वसंत पंचमी आने में अब 20 दिन बचे हैं. शहर के 100 से अधिक स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्वरूप में आने लगी हैं. हर स्थान पर अभी से ही प्रतिमाओं के आर्डर मिलना शुरू हो गया है. लेकिन इसके साथ ही प्रतिमा निर्माण पर महंगाई की मार है. पांच साल में दोगुना खर्च बढ़ गया. हुसैनाबाद अंबे के मूर्तिकार रंजीत पंडित ने बताया कि प्रतिमा निर्माण में रस्सी, बांस, पुआल, मिट्टी आदि से होता है. रस्सी की कीमत दो साल में 8000 से बढ़कर 12000 रु प्रति क्विंटल हो गयी. बांस पांच साल में 150 से बढ़कर 300 रुपये हो गये. पुआल की कीमत 150 रुपये प्रति सैकड़ा से बढ़कर 400 रुपये, मिट्टी 500-800 रुपये से बढ़कर 3000 रुपये प्रति टेलर हो गये. इसके अलावा कपड़ा, रंग व साज की कीमत भी पांच साल में दोगुनी से अधिक हो गयी. प्रतिमा के लिए उपयुक्त मिट्टी मिलना कम हो गया. दूसरे मूर्तिकार विजय गुप्ता ने बताया कि जबसे हार्वेस्टर से धान की कटाई हो रही है, तभी पुआल की कीमत अधिक बढ़ गयी. हार्वेस्टर वाले धान फसल का पुआल खराब हो जाता है, जो कि प्रतिमा निर्माण में उपयुक्त नहीं है. अब पुआल ढूंढ़ना पड़ रहा है.

100 से अधिक स्थानों पर हो रहा है प्रतिमा का निर्माण

शहर में रामसर, अंबय, दीपनगर, आदमपुर, बड़ी खंजरपुर, कला केंद्र, तिलकामांझी, ईशाकचक, मिरजानहाट रोड, मारूफचक, नाथनगर, सबौर समेत शहर के सौ से अधिक स्थानों पर प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है. भागलपुर में बनी प्रतिमा भागलपुर के विभिन्न प्रखंड व बांका जिले के कई क्षेत्रों के श्रद्धालु ले जाते हैं. नदिया के मूर्तिकार तरुण पाल ने बताया कि वह सालों भर किसी न किसी देवी-देवता की प्रतिमा का निर्माण करते रहते हैं. यही जीविका का साधन भी है. लेकिन महंगाई ने कमर तोड़ दी है. मुनाफा में मैनेज करके प्रतिमा का ऑर्डर ले रहे हैं. पहले से प्रतिमा निर्माण 50 प्रतिशत तक घट गया है.

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