राजीव झा, सुपौल: कोसी नदी के जल स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि के बाद सुपौल (Supaul Flood) जिले में तटबंध के भीतर बसे लोगों के बीच त्राहिमाम मचा है. जनजीवन अस्त-व्यस्त है. वहीं पीड़ित परिवारों में भय का माहौल है. तटबंध के भीतर बाढ़ प्रभावित प्रखंड क्षेत्र के ऐसा कोई भी गांव नहीं है जहां नदी का पानी तीन से चार फीट जमा नहीं है. लोगों के आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही बचा है. तटबंध के भीतर कई कच्ची सड़कें ध्वस्त हो चुकी हैं. कई पक्की सड़कों के ऊपर से बाढ़ का पानी निकल रहा है.
कोसी के रौद्र रूप के आगे नतमस्तक हुए लोग
कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है ये फिर एकबार दिखा है. नेपाल की बारिश ने बिहार को भी संकट में डाला है.बीते दिन कोसी बराज से रिकॉर्ड मात्रा में पानी छोड़े गए और इसका असर अब दिखने लगा है. रातोंरात कई गांव में कोसी का पानी घुस गया. लोग आनन-फानन में अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थान की ओर जाने लगे. कोसी के रौद्र रूप के आगे नतमस्तक लोगों का घर-द्वार छूट गया.
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रात में कोसी ने दी दस्तक, घर छोड़कर भागे लोग
रात के अंधेरे में कोसी ने दरवाजों पर दस्तक दे दी. लोग डर से रतजगा कर रही रहे थे और जब कोसी ने प्रवेश किया तो फिर सुबह होते ही चारो ओर अफरा-तफरी का माहौल दिखा. गांव के बूढ़े बुजुर्ग अपने बेटों का आने का इंतजार कर रहे थे जबकि सबके जुबान पर एक ही बात थी कि कोसी ने आखिर उन्हें बेघर होने को मजबूर कर ही दिया. कोसी नदी के जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगी को उथल-पुथल कर दिया है. लोग तटबंध पर शरण लिए हुए हैं.
तटबंध के अंदर कोसी की तबाही
तटबंध के भीतर बसे लोगों के लिए आजीविका का एक मुख्य साधन पशुपालन भी है. लिहाजा बड़ी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं. शनिवार की आधी रात जब तटबंध के भीतर बौराई हुई कोसी का पानी इलाके में प्रवेश किया तो ऐसे पशुपालकों को अपने पशुओं की चिंता सताने लगी. नदी का पानी इतना फैल चुका था कि पशुपालक पशु को लेकर ऊंचे स्थान की ओर ले जाने से डर रहे थे.
नाव के सहारे चलने लगे लोग
कोसी नदी में पानी बढ़ने के कारण कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों का जीना मुहाल हो गया है. तटबंध के अंदर बसे लोगों के घर आंगन में दो से तीन फीट घुस गया है. जिस वजह से लोगों की परेशानी बनी हुई है. पानी बढ़ने के कारण लोगों को एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे पर जाने के लिए सिर्फ वह सिर्फ नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.
प्रशासन की भी बढ़ी चिंता
कोसी नदी के जलस्तर में जिस प्रकार से वृद्धि हो रही थी. उसी प्रकार जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल रहे थे. डीएम कौशल कुमार सुबह से लेकर रात तक तटबंध, पीड़ित परिवार, अभियंताओं की ड्यूटी, फ्ल्ड फाइटिंग कार्य सहित बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों की मॉनिटरिंग करते रहे. कोसी बराज व बराह क्षेत्र के डिस्चार्ज पर पल-पल की अपडेट होते रहते थे.
प्रशासन की चेतावनी को अनसुना करना पड़ा भारी
बराज से छोड़ा गया पानी तटबंध के भीतर तीन से चार घंटे में जब फैलेगी तो निश्चित रूप से पीड़ित परिवारों की मुश्किलें बढ़ेंगी. प्रशासन की सूचना की अनदेखी करने वालों की मुश्किलें बढ़ी हैं. दरअसल, संभावित बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन द्वारा शुक्रवार को ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था. तटबंध के भीतर व गाइड बांध के समीप बसे लोगों से ऊंचे स्थान पर पहुंचने के लिए माइकिंग करायी गयी. वहीं जनप्रतिनिधि के माध्यम से भी ऐसे परिवारों को बाहर आ जाने का अपील किया गया. लेकिन घरबार छोड़कर जो लोग बाहर नहीं निकले उन लोगों की शनिवार से ही मुश्किलें बढ़ी रही.