बिहार के अस्पतालों में तांत्रिकों की हो रही एंट्री, भूत भगाने से लेकर सर्पदंश के इलाज के नाम पर कर रहा प्रयोग
बिहार के अस्पतालों में तांत्रिकों की एंट्री अब आम हो चुकी है. मरीजों के परिजन डॉक्टर पर कम और तांत्रिकों पर कई बार अधिक भरोसा करते दिखे हैं.
बिहार के अस्पतालों में तांत्रिकों की एंट्री आजकल हो रही है. कोसी क्षेत्र में ऐसे दो मामले सामने आ गए हैं जहां मरीज का इलाज कराने आए उनके परिजनों को डॉक्टरों के इलाज पर भरोसा नहीं रहा और इलाज के बीच में ही मरीज को लेकर चले गए. यही नहीं, इन मरीजों का इलाज कराने के लिए तांत्रिक को बुलाया गया. अस्पताल कैंपस में ही तांत्रिक झाड़-फूंक शुरू कर देता है और मरीज को ठीक कर देने का भी दावा करता है. इसे देखकर लोग तो हैरान हैं ही, लेकिन मरीज के परिजनों के साथ-साथ अस्पताल की लापरवाही पर भी सवाल उठ रहे हैं.
सुपौल और सहरसा के अस्पतालों में तांत्रिक की एंट्री
सुपौल में पिछले महीने एक सरकारी अस्पताल कैंपस में डॉक्टर के सामने ही तांत्रिक सर्पदंश के मरीज का इलाज करता रहा. वहीं अब सहरसा का एक मामला सामने आया जहां एक मरीज के ऊपर भूत आने का दावा उनके परिजनों ने किया और अस्पताल में डॉक्टरों से इलाज कराने के दौरान ही मरीज को बाहर लेकर आ गए. एक तांत्रिक को बुलाया और अस्पताल कैंपस में ही झाड़-फूंक शुरू करवा दिया.
मॉडल अस्पताल में तांत्रिक के झाड़-फूंक से इलाज
सहरसा जिले का मॉडल अस्पताल जिसे कोसी का पीएमसीएच कहा जाता है से एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है. यह अस्पताल जिसे आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के लिए जाना जाना चाहिए. अब तांत्रिकों के झाड़-फूंक का अड्डा बन गया है. यहां के भर्ती मरीजों का इलाज डॉक्टरों के बजाय तांत्रिकों द्वारा झाड़-फूंक से किया जा रहा है. मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की पोल खुली. सोमवार को वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज को जिसे यूरिन बैग लगा था और स्लाइन लगा था उसका स्लाइन खोलकर अस्पताल के वार्ड से निकालकर अस्पताल परिसर में लाया गया. जहां तांत्रिक उसके इलाज के लिए झाड़-फूंक कर रहा था. तांत्रिक कुछ मंत्रोच्चारण कर झाड़-फूंक करते देखा गया. मामला प्रशासन की लापरवाही एवं स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को उजागर करता है.
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क्या है पूरा मामला? भूत लगने का किसने किया दावा?
मिली जानकारी के अनुसार झाड़-फूंक से इलाज की जा रही महिला मरीज करीब 33 वर्ष बतायी जा रही है. महिला मरीज सदर थाना क्षेत्र के धमसैना गांव की रहने वाली है. महिला मरीज के परिजन ने बताया कि रविवार को महिला को भूत लग गया था एवं तांत्रिक के झाड़-फूंक के बाद वह ठीक हो गयी थी. लेकिन सोमवार को उसकी तबीयत फिर से बिगड़ गयी. जिसके बाद उसे मॉडल अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां भी इलाज के क्रम में सुखाशन गांव निवासी तांत्रिक दिनेश कुमार ने पुनः झाड़-फूंक किया. जिसके बाद महिला ने थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें खोलीं. वहीं तांत्रिक दिनेश कुमार खुद को भगवती का पुजारी बताता है.
तांत्रिक का क्या है दावा?
तांत्रिक ने बताया कि वह पूजा करने आया था. जब उन्हें इस महिला के बारे में बताया गया तो मैं अस्पताल आ गया. उन्होंने माथे पर हाथ रखा एवं महिला ठीक हो गयी. उन्होंने यह भी बताया कि वह महिला मरीज के रिश्तेदार हैं. अस्पताल प्रशासन की इस गंभीर लापरवाही को लेकर लोगों में काफी चर्चा है. मॉडल अस्पताल जो कोसी क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है. इसमें इस प्रकार की गतिविधियां स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास डगमगा सकती है.
सुपौल के भी अस्पताल में पहुंचा था तांत्रिक, करता रहा झाड़-फूंक
सुपौल अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में भी पिछले महीने एक अजीबोगरीब कारनामा देख लोग अचंभित रह गए थे. सर्पदंश से पीड़ित मरीज को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे थे. दरअसल थाना क्षेत्र के अलग-अलग जगहों से आए सर्पदंश के शिकार एक 6 वर्षीय बच्चा और एक 25 वर्षीय महिला को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज लाया गया था. लेकिन अस्पताल आए परिजनों को डॉक्टरों के ईलाज पर भरोसा नहीं हुआ तो तांत्रिक के द्वारा उसका झाड़-फूंक कर पीड़ित को ठीक करने का निर्णय लिया और गांव से दो महिला और एक पुरुष समेत तीन तांत्रिक को बुलाया और फिर तीनों तांत्रिकों का घंटों भर झाड़फुंक टोटका चलता रहा. वे सभी तांत्रिक कभी बड़बड़ाता तो कभी जिस जगह पर सांप कांटी उस जगह पर फूंक मारने लगता.दो महिला सहित तीन तांत्रिक अस्पताल में घंटो तक तंत्र-मंत्र करते रहे और अस्पताल प्रबंधन मूकदर्शक बने रहे थे.
भागलपुर में भी अस्पताल में महिला तांत्रिक का उत्पात दिखा था
ऐसा ही एक मामला भागलपुर के नवगछिया के अस्पताल में दिखा था. जब एक मृत बच्ची के जिंदा होने का दावा महिला तांत्रिक ने किया था. परिजन मृत बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंच गए थे. डॉक्टर ने बच्ची को मरा हुआ बताया तो महिला तांत्रिक ने हंगामा शुरू कर दिया था और दावा करने लगी थी कि बच्ची जिंदा है. जिसके बाद पुलिस को अस्पताल प्रशासन ने बुलाया था और महिला तांत्रिक को पुलिस लेकर गयी थी.