भागलपुर के हाई व इंटर स्कूलों में शिक्षक के 732 पद खाली, ट्यूशन के भरोसे तैयारी को मजबूर लाखों छात्र

भागलपुर के हाई स्कूल व इंटर स्कूलों में शिक्षक के 732 पद खाली हैं. छात्रों को ट्यूशन के भरोसे तैयारी करनी पड़ती है. स्कूल के भरोसे रहना अब छात्रों को अपने करियर के साथ खिलवाड़ लगने लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 22, 2022 7:23 AM

भागलपुर जिले के हाई व इंटर स्कूलों में बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था की मुख्य वजह शिक्षकों की कमी है. जिले के 92 इंटर स्कूल व 218 हाई स्कूलों में दो लाख विद्यार्थी नवम से 12वीं तक की पढ़ाई करते हैं. विद्यार्थियों की कहना है कि स्कूल के भरोसे हम इंटर व मैट्रिक परीक्षा में बेहतर अंक नहीं ला सकते हैं. बेहतर तैयारी के लिए हमें ट्यूशन का सहारा लेना ही पड़ेगा.

शिक्षकों के खाली पड़े पद

जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार इंटर स्कूलों में शिक्षकों के 445 व हाई स्कूलों में शिक्षकों के 287 पद खाली पड़े हैं. अगर हाई स्कूलों की बात करें तो इनमें हिंदी के 52, अंग्रेजी के 66, विज्ञान के 31, गणित के 32 व अन्य विषय के पद खाली हैं. इंटर स्कूलों में केमेस्ट्री के 103, गणित के 41, फिजिक्स के 112 समेत अन्य विषय के पद खाली है, जबकि हाई व इंटर स्कूलों में करीब 2100 शिक्षक कार्यरत हैं.

स्कूल में अनुपस्थिति छात्रों की मजबूरी बनी :

जिले के मध्य विद्यालयों में अष्टम कक्षा तक किसी तरह छात्र-छात्राएं पढ़ाई पूरी कर जैसे ही उच्च व इंटर विद्यालय में नामांकन लेते हैं. वहां विज्ञान, अंग्रेजी, गणित, वाणिज्य व कला विषय के शिक्षकों का टोटा है. मुख्य विषयों की बेहतर पढ़ाई नहीं होने से छात्र मजबूरी में कोचिंग सेंटरों में मैट्रिक व इंटर परीक्षा की तैयारी के लिए चले जाते हैं. इस कारण स्कूल खाली पड़े रहते हैं.

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प्रधानाध्यापकों का कहना है कि…

इंटर व हाई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से उच्च व उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों की बहाली जल्द शुरू होगी. तीन माह के बाद विद्यालयों में सभी विषयों के शिक्षक मौजूद होंगे. विद्यालय स्तर से शिक्षकों के खाली पद की सूची जिला शिक्षा कार्यालय को कई वर्ष पूर्व उपलब्ध करा दी गयी है.

तब सरकारी स्कूलों में पढ़ बनते थे डॉक्टर-इंजीनियर

शहर के अभिभावकों के अनुसार कभी सरकारी स्कूलों में पढ़ कर छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होते थे. आज शहर के नामी गिरामी स्कूलों में जिला स्कूल, टीएनबी कॉलेजिएट, मारवाड़ी पाठशाला, बरारी हाइ स्कूल, सीएमएस समेत अन्य स्कूलों में छात्र पढ़ाई करने नहीं जा रहे हैं. शिक्षा विभाग को इस पर विमर्श करना होगा कि क्यों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्तर गिरा है. आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बात करें, तो सरकारी संरक्षण में उदाहरण पेश कर रहे हैं.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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