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डूब रहे मंदिर, श्मशान घाट भी डूबा और चारों तरफ मचा है हाहाकार

शहरी क्षेत्र अंतर्गत गंगा के निकटवर्ती मोहल्ले में बाढ़ से लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. इतना ही नहीं शहर के मंदिरों में बाढ़ का पानी घूस गया और मंदिर भी डूबने लगे हैं.

शहरी क्षेत्र अंतर्गत गंगा के निकटवर्ती मोहल्ले में बाढ़ से लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. इतना ही नहीं शहर के मंदिरों में बाढ़ का पानी घूस गया और मंदिर भी डूबने लगे हैं. श्मशान घाट तो जलमग्न हो गया, जिससे अधिकतर शवों को शवदाह गृह में जलाना पड़ रहा है. और तो और लोगों को अपने घरों में घुसना मुश्किल हो रहा है. चूल्हा-चौका की दिक्कत हो रही है. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है.

शहर के बूढ़ानाथ समीप मशानी काली मंदिर, रामजानकी मंदिर में चारों तरफ बाढ़ का पानी भरा हुआ है, तो मान मंदिर में पानी घुस गया. बरारी सीढ़ी घाट समीप स्थित राधा-कृष्ण मंदिर में गंगा का पानी चढ़ गया. इसमें मशानी काली मंदिर, राम-जानकी मंदिर व मान मंदिर में श्रद्धालुओं का पहुंचना मुश्किल हो रहा है. राधा-कृष्ण मंदिर, बूढ़ानाथ मंदिर आदि में भी श्रद्धालु कम पहुंच रहे हैं.

बूढ़ानाथ मंदिर के महंत शिवनारायण गिरि ने बताया कि 1930-35 में गंगा बूढ़ानाथ मंदिर की सीढ़ी पर बहुती थी, जैसा कि अभी बाढ़ के बाद पहुंची है. भगवान की माया है. इस बार ऐतिहासिक बाढ़ है. पुराने समय की याद दिला रहा है, लेकिन अब वस्तु-स्थिति बदल गयी है. पहले लोगों को परेशानी नहीं थी, लेकिन अब परेशानी बढ़ गयी है.

बरारी श्मशान घाट में लकड़ी की बजाय शवदाह गृह में बढ़ी भीड़

बरारी श्मशान घाट में लकड़ी से दाह संस्कार करने की बजाय शवदाह गृह में बिजली से दाह संस्कार करने वालों की संख्या बढ़ गयी है. स्थानीय लोगों की मानें तो पहले 20 से 25 की संख्या में शव श्मशान घाट पहुंचता था, जबकि अभी 15 की संख्या में शव पहुंच रहा है. इसमें दो-चार शव को ही लकड़ी से दाह संस्कार किया जा रहा है. श्मशान घाट नहीं डूबने पर इसका उल्टा होता था. अधिकतर दाह संस्कार लकड़ी से होता था.

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मेयर से मिले दीपनगर काली ठाकुर लेन के बाढ़पीड़ित, राहत सामग्री की मांग

वार्ड 21 अंतर्गत दीपनगर काली ठाकुर लेन व दीपनगर घाट के 100 से अधिक बाढ़पीड़ितों से मिलने मेयर डॉ बसुंधरालाल पहुंची. उनके साथ पार्षद संजय सिन्हा थे. बाढ़पीड़ितों ने भारत की जनवादी नौजवान सभा के राज्य कमेटी सदस्य मनोज कुमार गुप्ता के नेतृत्व में बाढ़पीड़ितों की सूची व ज्ञापन सौंपा और अपनी समस्याओं से अवगत कराया. इस दौरान राहतसामग्री व मूलभूत सुविधा की मांग की.

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चार मोहल्ले के चार बाढ़पीड़ितों का दर्द

फोटो नंबर: छोटू से सखीचंद घाट, नया बाजार घाट, दीपनगर घाट व मानिक सरकार घाट

भोजन बनाने से लेकर शौचालय की समस्या

एक टीन का मकान है, जिसमें बेटा-पुत्रवधु के साथ रहती हूं. पति राजू पंडित के साथ खुद मजदूरी करके जीवन-यापन करती हूं. पुत्र भोलू पंडित किराया का ई-रिक्शा चलाता है. भोजन तैयार करने से लेकर शौचालय की समस्या हो गयी है. कहां जायें. समझ में नहीं आता.

सुनीता देवी, मानिक सरकार घाट

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पूरा घर जलमग्न हो गया और सड़क पर रहने को विवश

पूरा घर जलमग्न हो गया और अधिकतर सामान भी उसी में बर्बाद हो गया. अब सड़क पर रहकर जीवन-यापन करने को विवश हैं. अभी बारिश नहीं हो रही, यह सौभाग्य है. रूखा-सूखा खाकर किसी तरह रह रहे हैं. यही हाल 92 परिवारों का है.

नीतू देवी, दीपनगर काली ठाकुर लेन

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पूरा घर खपड़ैल का है, जो कि डूब गया. किसी तरह पड़ोसी के छत पर रहने को विवश हैं. यहां से निकलना और पहुंचना भी मुश्किल होता है. कैसे कमायेंगे और घर का गुजारा कैसे करेंगे, समझ में नहीं आ रहा है. कोई राहत नहीं मिल पा रहा है. पति मनोज यादव कई बार गुहार लगा चुके हैं.

कंचन देवी, नया बाजार घाट

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सखीचंद घाट में 50 से अधिक लोगों का घर डूब गया है. कई लोग छत पर रहे हैं. खुद भी अपने छत के ऊपर पर रही हूं. जिनका घर पूरी तरह से डूबा है, उन्हें शरण दिया है. पानी के बीच जहरीले जीव-जंतु का डर सता रहा है. कोई राहत नहीं मिल रहा.

मंजू देवी, सखीचंद घाट

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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