कटोरिया से भलजोर और ढाका मोड़ से भलजोर एनएच के मेंटेनेंस कार्य के लिए टेंडर हुआ फाइनल
ढाका मोड़ से भलजोर तक 78 किमी सड़क की मरम्मत का कार्य पीबीएमसी के जरिए करायी जायेगी.
टॉपलाइन इंफ्रा को 30 प्रतिशत कम राशि की बोली लगाने पर मिला टेंडरवरीय संवाददाता, भागलपुरएनएच कटोरिया से भलजोर और ढाका मोड़ से भलजोर तक 78 किमी सड़क की मरम्मत का कार्य पीबीएमसी (पर्फार्मेंस बेस्ड मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट) के जरिए करायी जायेगी और इसका काम टॉपलाइन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स एजेंसी को मिल गया है. एजेंसी मेंटेनेंस का काम 47.17 करोड़ से करायेगी. मेंटेनेंस कार्य के लिए तीन एजेंसियों ने निविदा में हिस्सा लिया था, जिसमें टॉप लाइन इंफ्रा को 30 प्रतिशत कम राशि की बोली लगाने पर टेंडर मिला है. ढाका मोड़ से भलजोड़ तक एनएच-133ई का ये दूसरा हिस्सा है. पहला हिस्सा भागलपुर से ढाका मोड़ तक 765 करोड़ रुपये से फोरलेन किया जा रहा है. दूसरे हिस्से में ढाका मोड़ से भलजोड़ तक 24 किमी की सड़क को एनएच पीबीएमसी मोड से मरम्मत करायी जायेगी. एनएच-333ए में कटोरिया से बांका तक 35 किमी की सड़क और इसी हाइवे में बांका से भलजोर तक की 19 किमी सड़क को भी पीबीएमसी मोड से पांच वर्षों के लिए लांग टर्म मरम्मत करायी जायेगी. तीनों सड़क का एक पैकेज बनाकर मोर्थ ने टेंडर निकाला था.
जगदीशपुर अंचल के पूर्व सीओ दोष मुक्त
वरीय संवाददाता, भागलपुरजगदीशपुर अंचल के पूर्व सीओ सेवानिवृत अशोक कुमार मंडल को दोषमुक्त कर अनुशासनिक कार्रवाई समाप्त कर दी गयी है. साथ ही इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. ज्ञात हो कि श्री मंडल के विरुद्ध कलेक्टर ने आरोप पत्र गठित कर विभाग को उपलब्ध कराया था. आरोप पत्र में श्री मंडल के विरुद्ध परवादी डाॅ नवल किशोर सिंह द्वारा समर्पित आवेदन में संधारित खतियान पंजी व जमाबंदी में छेड़छाड़ करने, फर्जी तरीके से खतियान के पन्नों को बदलकर वार्ड संख्या-5 व खाता संख्या 395 में महादेव मंडल का नाम अंकित करने के मामले में स्पष्टीकरण पूछे जाने का कोई जवाब नहीं मिलना शामिल किया था. साथ ही कार्य के प्रति घोर लापरवाही बरतने जैसे आरोप रिपोर्ट की गयी थी. वहीं, प्रतिवेदित आरोपों के संबंध में कुछ महीनों के बाद श्री मंडल से फिर स्पष्टीकरण पूछा गया, जिसका जवाब उन्होंने समर्पित किया. इसकी समीक्षा के उपरांत पाया गया कि इस मामले में तत्कालीन अंचल अधिकारी का कोई दोष प्रतीत नहीं होता है.
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