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बाढ़ विस्थापितों के राहत शिविर के लिए खाद्य सामग्रियों की खरीद करना प्रशासन के लिए होगी चुनौती

बाढ़ विस्थापितों के लिए इस बार राहत शिविरों का प्रबंध करना शासन-प्रशासन के लिए चुनौती होगा.

तेजी से बढ़ रहा गंगा का जल स्तर, चिंतित हो रहे गंगा किनारे के लोग, राहत शिविर के लिए खाद्य सामग्रियों की खरीद के टेंडर भरने में आपूर्तिकर्ता नहीं ले रहे रूचि

वरीय संवाददाता, भागलपुर बाढ़ विस्थापितों के लिए इस बार राहत शिविरों का प्रबंध करना शासन-प्रशासन के लिए चुनौती होगा. दरअसल, पिछले कई महीनों से राहत शिविर के लिए चल रही तैयारी खाद्य सामग्रियों की आपूर्तिकर्ता नहीं मिलने से अधूरी है. हालांकि, शासन-प्रशासन इस दिशा में प्रयासरत है लेकिन, अभी तक कोई आपूर्तिकर्ताओं का नहीं मिलना चिंता का विषय बना है. क्योंकि, गंगा का पानी तेजी से बढ़ रहा है और इसके किनारे रहने वाले ऊंचे जगहों पर जाने के लिए चिंतित होने लगे हैं. शासन-प्रशासन की ओर से कई बार टेंडर निकाला गया लेकिन, इसमें किसी ने रूचि नहीं ली है. प्रशासन की ओर से एक बार फिर अति अल्पकालीन पुनर्निविदा आमंत्रित की है. ताकि बाढ़ से प्रभावित व विस्थापितों के लिए चलाये जाने वाले राहत शिविरों में आवासित व्यक्तियों के लिए भोजन बनाने की खाद्य सामग्रियां खरीदी जा सके.

13 जुलाई को खोली जायेगी निविदा, फिर कोई नहीं मिला तो हो जायेगा रद्द

जिला आपदा प्रबंधन शाखा की ओर से जारी की गयी निविदा 13 जुलाई को खोली जायेगी. हालांकि, निविदा भरने की अंतिम तिथि भी 13 जुलाई ही रखी है. फिर अगर कोई निविदा नहीं भरा, तो इसको रद्द करना पड़ सकता है. इससे पहले टेंडर भरने और खोलने की तिथि 04 मई निर्धारित की गयी थी. इससे पहले निविदा दाखिल करने और खोलने की तिथि 10 जून रखी गयी थी. वहीं, इसमें यह भी ऑप्शन रखा था कि अगर उक्त तिथि में कोई निविदा प्राप्त नहीं होती है, तो इच्छुक आपूर्तिकर्ता के लिए इसमें भाग लेने के लिए अगली तिथि 14 जून व 19 जून होगी. सब रद्द हो गया है और नये सिरे से निविदा जारी की है.

राहत शिविर में बाढ़ विस्थापितों के लिए सबकुछ का रहेगा प्रबंध

बाढ़ पीड़ितों के लिए इस बार राहत शिविर में सब कुछ का प्रबंध करने की योजना बनायी है. ताकि, उन्हें यह न लगे कि वह बेघर है. रहने के लिए छत, खाने के लिए उत्तम किस्म की खाद्य सामग्रियां का प्रबंधन करने की योजना पर तैयारी हो रही है. चूढ़ा-मुढ़ी व सत्तु तो आम बात है, उन्हें खाने में पका हुआ भोजन और पीने के लिए मिनरल वाटर तक का प्रबंधन करने जा रही है. बच्चे के लिए सीनेटरी पैड, दूध का पाउडर, साड़ी-ब्लॉज, पेटीकोट(निर्मित या रेडिमेड) सेनेटरी पैड, लूंगी, धोती, गंजी, गमछा, टी-शर्ट, बच्चे का कपड़ा तक मिलेगा. थाली, ग्याल, कटोरा, चम्मच, लोटा, बाल्टी, मग, आइना, तेल, कंघी सहित हर वह जरूरत का समान उपयोग करने के लिए दिया जायेगा, जो एक घर में मिलता है. यही नहीं, मच्छर भगाने वाला अगरवत्ती, टूथपेस्ट, झाड़ू, सूप सभी समान दिया जायेगा.

बॉक्स मैटर

एनएच 80 की सड़क के बचाव की दिशा में कोई तैयारी नहीं

गंगा में जब-जब बाढ़ आयी है, तबतक सबसे ज्यादा प्रभावित आवागमन की हुई है. बाढ़ में सड़कें टूट जाती है. खासकर एनएच 80 की सड़क टूटती है और आवागमन ठप हो जाता है. बावजूद, इसके हाइवे को बचाव की दिशा में अबतक एनएच विभाग की ओर से कोई तैयारी शुरू नहीं हो सकी है. यही हाल रहा, तो हर बार की तरह यह सड़क टूट सकती है और भागलपुर से कहलगांव व पीरपैंती का सड़क संपर्क भंग हो सकता है.

भागलपुर में 24 घंटे में तीन गुणा से ज्यादा बढ़ा गंगा का जलस्तर

भागलपुर में गंगा का जलस्तर पिछले 24 घंटे में तीन गुणा से ज्यादा बढ़ा है. शुक्रवार को अधिकतम बढ़ोतरी आठ सेंटीमीटर की हुई थी. शनिवार को वृद्धि का रिकॉर्ड 27 सेंटीमीटर दर्ज किया गया है. गंगा का जलस्तर 27.05 मीटर पर था और बढ़ कर अब यह 27.32 मीटर पर आ गया है. यह अब खतरे के निशान से अब 6.36 मीटर ही दूर रह गया है. जबकि, एक दिन पहले यानी, शुक्रवार को 6.63 मीटर दूर था. खतरे का निशान 33.68 मीटर निर्धारित है. गंगा के जलस्तर में सर्वाधिक वृद्धि का रिकॉर्ड साल 2021 में की गयी थी. जलस्तर खतरे के निशान को पार कर 34.86 मीटर पर पहुंच गयी थी. एनएच 80 की सड़क न सिर्फ बाढ़ में डूब गयी थी, बल्कि जगह सड़क टूट गयी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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