अंडे से निकल पहली बार उड़ान भर रहे गरुड़ों का हो रहा शिकार

लॉकडाउन में मानवीय गतिविधियां बिल्कुल कम होने से जंगलों में रहने वाले पक्षियों का झुंड आबादी वाले इलाके तक पहुंच रहा है. शहर के आसमान में निर्भीक उड़ते लोगों की छतों पर बैठ रहे हैं.

By Pritish Sahay | April 27, 2020 11:54 PM

भागलपुर : लॉकडाउन में मानवीय गतिविधियां बिल्कुल कम होने से जंगलों में रहने वाले पक्षियों का झुंड आबादी वाले इलाके तक पहुंच रहा है. शहर के आसमान में निर्भीक उड़ते लोगों की छतों पर बैठ रहे हैं. ऐसा ही एक नजारा दक्षिणी क्षेत्र के हुसैनाबाद इलाके में दिखा. भटकता हुआ एक वयस्क गरुड़ स्थानीय अभिषेक की छत पर जा बैठा. करीब एक मीटर ऊंचे इस विलुप्तप्राय पक्षी को देख कर आसपास के लोगों में कौतूहल हो गया. शोरगुल सुनने के बाद गरुड़ आसमान की ऊंचाइयों में खो गया.

स्थानीय लोगों की माने तो ऐसे दर्जनों पक्षी आसपास के इलाके में चूहे व दूसरे कीट पतंगों की तलाश में बीते एक पखवाड़े से मंडरा रहे हैं. सड़क पर वाहनों व आमलोगों की आवाजाही कम होने से पक्षियों का भय खत्म हो रहा है. गरूड़ों के मंडराने की सूचना भागलपुर शहर के अलावा सबौर, जगदीशपुर, नाथनगर व सुलतानगंज समेत नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न इलाकों से मिल रही है. गंगा नदी समेत विभिन्न जलाशयों के किनारे गरूड़ों का प्रवास स्थल बना है. मानवीय इलाके में गरूड़ों की जान पर आफत बनी है.

पक्षियों का शिकार करने वाले बंजारे जलाशयों के किनारे पहुंच गरूड़ का अंधाधुंध शिकार कर रहे हैं. गरुड़ को मानवीय खतरे का कम आभास मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा ने बताया कि जिले में दो तरह के छोटे और बड़े प्रजाति के गरुड़ पाये जाते हैं. कदवा दियारा में बड़ी प्रजाति के गरुड़ रहते हैं.

कोसी, सीमांचल समेत भागलपुर के दियारे में छोटे गरुड़ की प्रजाति मिलती है. इस समय गरुड़ का प्रजनन काल समाप्त हो गया है. अंडे देने के बाद गरुड़ के बच्चे बड़े होकर अप्रैल माह में घोसले छोड़कर उड़ जाते हैं. पहली बार आसमानों में मंडराने वाले गरुड़ को मानवीय खतरे का कम आभास होता है. इस कारण गरूड़ के झुंड दिखाई दे रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version