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सुहागिनों ने वट-सावित्री पूजा करते हुए अखंड सुहाग की कामना की

जिले में विभिन्न जगहों पर सुहागिन महिलाओं वट सावित्री पूजा कर अखंड सुहाग की कामना की.

जिले में विभिन्न जगहों पर सुहागिन महिलाओं वट सावित्री पूजा कर अखंड सुहाग की कामना की. सुहागिनों ने वट वृक्ष को आम, लीची समेत मौसमी फल अर्पित कर, कच्चा धागा बांध आस्था के साथ वट वृक्ष की परिक्रमा की. पूजा के बाद वट सावित्री कथा भी सुनीं. सुहागिन महिलाओं ने पूजा की थाली सजाकर वट वृक्ष की 12 बार परिक्रमा की और फल-फूल चढ़ाकर सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की कामना की. बड़ी खंजरपुर बड़गाछ चौक, बरारी बड़गाछ चौक, आदमपुर चौक मंदिर परिसर, अलीगंज स्पिनिंग मिल परिसर, तिलकामांझी चौक, विश्वविद्यालय जुगल बड़ चौक, बूढ़ानाथ मंदिर के समीप, शिवशक्ति मंदिर समेत अन्य स्थानों पर बरगद के पेड़ की पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना की. सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत रख कर अपने सुहाग की रक्षा की कामना की. सिपेट कॉलेज, स्पिनिंग मिल परिसर, अलीगंज में वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करने के लिए साधना मिश्रा, दीपा तिवारी एवं अन्य महिलाओं ने विधि-विधान किया. पूजा करने के बाद वृक्षों को कच्चे धागे से लपेटा और वृक्ष की परिक्रमा की. आदमपुर सीसी मुखर्जी लेन की नीलू सिंह ने कहा कि सबसे पहले वट सावित्री व्रत को लेकर पूजा- अर्चना की और पति के दीर्घायु होने के लिए कामना की. वहीं सराय की शीलू कुमारी ने कहा कि हिंदू मान्यता के अनुसार वट वृक्ष के जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु एवं पत्तियों में देवाधिदेव वैज्ञानिक शिव का वास होता है. जटाएं देवी सावित्री का प्रतीक चिह्न है. इसलिए वटवृक्ष के दर्शन का फल त्रिदेव दर्शन के बराबर होता है. देवी सावित्री ने बरगद वृक्ष के नीचे अपने पति को जीवित किया था. तभी से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत-पूजा करती आ रही हैं.

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