बिहार का चर्चित सृजन घोटाला के मामले में पीरपैंती के तत्कालीन बीडीओ चंद्रशेखर झा के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाने से सीबीआइ की जांच अटक रही है. अब तक कई बार सीबीआइ ने चंद्रशेखर झा के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति और विभिन्न कागजात की मांग की गयी है. लेकिन कुछ कागजात नहीं मिलने के करण यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है. एक बार फिर सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि विभाग, पटना को अभियोजन की स्वीकृति पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के विशेष सचिव रचना पाटिल ने विधि विभाग के अवर सचिव को पत्र भेजा है. इसकी प्रति भागलपुर के डीएम व सीबीआइ के आइजी डॉ एसके सिंह को भेजी गयी है.
सृजन घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद पीरपैंती प्रखंड प्रशासन ने 20.09.2017 को कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक में पीरपैंती बीडीओ के पदनाम से खाता खोला गया था. आरोप लगाया गया कि प्रखंड कार्यालय द्वारा निर्गत विभिन्न चेक बैंक खाते में जमा नहीं किया गया, जबकि चेक जमा करने की बात बैंक द्वारा निर्गत पासबुक में दर्ज है. जब भी प्रखंड कार्यालय ने राशि निकासी के लिए चेक जमा किये गये, अज्ञात स्रोत के माध्यम से खाते में राशि जमा की जाती रही. बैंक ने अज्ञात स्रोतों द्वारा जमा की गयी राशि की सूचना प्रखंड कार्यालय को नहीं दी. तत्कालीन जिलाधिकारी के लिखित निर्देश पर पीरपैंती प्रखंड कार्यालय का चार खाता सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड में भी खोला गया था. इसमें दो खाते वर्ष 2004 और दो खाते वर्ष 2005 में खोले गये थे. इसके बाद तीन खाते वर्ष 2009 और एक खाता वर्ष 2008 में बंद किये गये. सृजन में खाते बंद करने के दौरान दो खाते की अवशेष राशि बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर की गयी थी, जो बाद में जांच में पता चला कि राशि ट्रांसफर ही नहीं हुई. इसके अलावा जांच में और भी कई खुलासे होने पर आरोपों को लेकर दोनों बैंकों के तत्कालीन शाखा प्रबंधक, सृजन के सभी पदधारक और अन्य व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी, जिसकी जांच सीबीआइ कर रही है.
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इस मामले में पीरपैंती के पूर्व बीडीओ चंद्रशेखर झा से जुड़े दस्तावेज सामान्य प्रशासन विभाग ने डीएम से पहले भी मांगा था. सीबीआइ, पटना में पूर्व बीडीओ के खिलाफ दर्ज मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी अभियुक्त हैं. इस पर 14.05.2024 को जिला स्थापना शाखा के वरीय उपसमाहर्ता ने जिला विधि शाखा के वरीय उपसमाहर्ता को जानकारी दी थी कि अभियोजन स्वीकृति के लिए उक्त कांड से संबंधित अभिलेखीय दस्तावेज उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है.
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