कला के पुजारी – सरस्वती पूजा : वर्षों से बड़ी-बड़ी प्रतिमा निर्माण कराकर ले जाते हैं श्रद्धालु, मूर्तिकार कला प्रेम के साथ सामाजिक भाव को लेकर नहीं हो पा रहे प्रोफेशनल
प्रभात खास
दीपक राव, भागलपुर
सिल्क सिटी साहित्य व संस्कृति के साथ मूर्ति निर्माण कला में भी समृद्धशाली है. यही कारण है कि अंग जनपद अंतर्गत भागलपुर के मूर्तिकारों के हाथों तराशी गयी मिट्टी की मूर्ति मगध क्षेत्र समेत प्रदेशभर के लोगों को आकर्षित करता है. इतना ही नहीं झारखंड के निकटवर्ती जिलों गोड्डा व साहेबगंज तक यहां के मूर्ति की डिमांड है. इस बार भी सरस्वती पूजा को लेकर प्रदेशभर व प्रदेश के बाहर यहां के मूर्तिकारों बनायी गयी मूर्ति के लिए ऑर्डर मिले हैं. मूर्तिकारों की मानें तो अब भी उनकी बनायी हुई मूर्ति पटना, बाढ़, मुंगेर, बौंसी, बांका, अमरपुर आदि क्षेत्र में डिमांड हो रही है.
12 साल की उम्र से मूर्ति बना रहे अंबे के रंजीत पंडितअंबे के मूर्तिकार रंजीत पंडित 12 साल की उम्र से पिता रामशरण पंडित से मूर्ति निर्माण कला की तालीम ली. रंजीत ने बताया कि अब तो खुद 62 साल के हो गये हैं. बताया कि पटना, बाढ़, बरियारपुर, बौंसी, श्याम बाजार, दुमका तक से अब भी लोग मूर्ति लेने के लिए आते हैं. उनके पास 15 हजार तक की 15 फीट की मां सरस्वती की मूर्ति बन रही है. पूरा परिवार मां की मूर्ति का निर्माण करने में छठ महापर्व के बाद से ही जुट गये हैं. बताया कि इस बार 90 मूर्ति का निर्माण किया जाएगा.———–40 साल से मूर्ति तैयार कर रहे हैं रामसर के सुदामा पंडितरामसर के अधेड़ मूर्तिकार सुदामा पंडित ने बताया कि 40 साल से मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं. सालोंभर अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं. चार सदस्यों का परिवार इस काम में हाथ बटाता है. आजीविका के साथ उनलोगों का शौक भी है. बड़े भाई सोनेलाल व हुसैनाबाद के मामा पूरण पंडित से मूर्ति कला की तालीम ली. उनके द्वारा तैयार मूर्ति की मांग बांका, बौंसी समेत अन्य जिलों तक है. 35 साल से तीन प्रतिमा बौंसी जा रही है. मां सरस्वती की डिजाइनर व बड़ी प्रतिमा बौंसी मंगायी जाती है. सरकार को फैंसी की बजाय कला को बढ़ावा देने की जरूरत है.
——————-गुजराती माॅडल का बढ़ रहा प्रचलनदीपनगर के वरिष्ठ मूर्तिकार विजय गुप्ता ने बताया कि पूरा जीवन मूर्ति निर्माण में बीता दिया. उनकी तीसरी पीढ़ी मूर्ति कला से जुड़ी है. नन्हे-मुन्ने नाती युवराज भी खेल-खेल में आकर्षक मूर्ति बनाने लगे हैं. इस बार युवाओं में मां सरस्वती का गुजराती मॉडल प्रचलन में आ रहा है. इसमें मां के बाल रूप को चेहरे पर प्रदर्शित किया जा रहा है. श्रद्धालु अलग-अलग भाव वाली सरस्वती की पूजा कर रहे हैं.—————प्रतिमा छोटी और श्रद्धा बड़ी : मूर्तिकार तरुण पालबंगाल नदिया से आये मूर्तिकार तरुण पाल ने बताया कि युवाओं में पहले बड़ी-बड़ी प्रतिमा स्थापित करने का प्रचलन था, लेकिन अब छोटी प्रतिमा स्थापित करके बड़ी श्रद्धा को प्रदर्शित कर रहे हैं. बताया कि बंगाल में मां सरस्वती की पूजा कम होती है. यहां प्रतिमा विसर्जन के लिए भी श्रद्धालुओं को चिंता करनी पड़ रही है, ताकि गंगा को प्रदूषित नहीं किया जाये. इसलिए छोटी-छोटी प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं. लोगों की श्रद्धा का ख्याल करते हुए दुर्गाबाड़ी परिसर में पिछले चार साल से प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं. छोटी प्रतिमा 800 रुपये तक, जबकि बड़ी प्रतिमा 3000 रुपये तक उपलब्ध है. यहां के लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. अन्य पूजन-त्योहार में भी प्रतिमा निर्माण करने के लिए आते हैं.
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