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टीएमबीयू अस्पताल में दो साल से नहीं है दवा

टीएमबीयू के अस्पताल में दो साल से दवा नहीं है. दवा के नाम पर केवल डेटॉल है. ऐसे में अस्पताल में उपचार कराने आने वाले छात्रों, कर्मियों व शिक्षकों को बाहर दवा लिखा जाता है.

टीएमबीयू के अस्पताल में दो साल से दवा नहीं है. दवा के नाम पर केवल डेटॉल है. ऐसे में अस्पताल में उपचार कराने आने वाले छात्रों, कर्मियों व शिक्षकों को बाहर दवा लिखा जाता है. दवा के नहीं रहने पर अस्पताल में उपचार कराने के लिए भी कम संख्या में स्टूडेंट आ रहे हैं. कुछ स्टूडेंट उपचार के लिए अस्पताल आ जाते हैं, तो बाहर का दवा लिखने पर इसका विराेध करते है. बताया जा रहा है कि सत्र 2022-23 व सत्र 2023-24 के तहत अस्पताल के लिए दवा की खरीद नहीं की गयी है. दूसरी तरफ विवि के अधिकारी का आरोप है कि दवा की खरीद के लिए फाइल रजिस्ट्रार कार्यालय में बढ़ायी गयी है. लेकिन फाइल कहां है, इसकी जानकारी नहीं दी गयी है. ———————————— दवा रहने से समय पर हो सकता था उपचार – अस्पताल में दवा के नहीं रहने के कारण विवि के छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल, शुक्रवार को विवि के बहुद्देशीय प्रशाल में पीजी सेमेस्टर तीन की परीक्षा में दो स्टूडेंट बेहोश हो गये. आननफानन में केंद्राधीक्षक ने अस्पताल के चिकित्सक को फोन कर उपचार के लिए बुलाया. चिकित्सक मौके पर पहुंच कर उपचार किया. लेकिन अस्पताल में दवा नहीं रहने के कारण उपलब्ध नहीं कराया जा सका. ऐसे में चिकित्सक को बाहर का ही दवा लिखना पड़ा. ——————————— छात्रों, कर्मचारी व शिक्षकों से लिया जाता है राशि – विवि सूत्रों के अनुसार अस्पताल में दवा की खरीद के लिए छात्रों से नामांकन के समय प्रति छात्र 30 रुपये लिया जाता है. जबकि तुतीय वर्गीय कर्मचारी से 60, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से 30 व प्रति शिक्षकों से एक सौ रुपये लिया जाता है. ———————– दवा की खरीद के लिए फाइल बढ़ायी गयी – विवि के अस्पताल के चिकित्सक डॉ अरशाद कमर ने कहा कि दवा खरीद के लिए फाइल विवि में बढ़ायी गयी है. दवा के नहीं रहने से परेशानी हो रही है. उपचार कराने आने वाले छात्रों को बाहर का दवा लिखने पर नाराजगी जताते हैं. ऐेस में छात्रों का सुनना भी पड़ता है. इसे लेकर विवि प्रशासन को सारी जानकारी दे दी गयी है. ———————————- कोट — दवा की खरीद के लिए फाइल पर काम कर एफओ कार्यालय में बढ़ाया गया है. रजिस्ट्रार कार्यालय में जरूरी फाइल का निष्पादन तेजी से किया जा रहा है. डॉ विकास चंद्र, रजिस्ट्रार

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