बड़ी समस्या: सबौर, गोराडीह, सन्हौला व कहलगांव प्रखंड के 20 पंचायत प्रभावित-सड़क व बांध निर्माण से जल निकासी का मार्ग अवरुद्ध
-तीन वर्षों से आ रही है समस्या, इस साल स्थिति भयावहप्रभात एक्सक्लूसिव
दीपक राव, भागलपुर
जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से कब का बाढ़ का पानी उतर चुका है, पर 20 पंचायतों के 2000 किसानों के 1000 हेक्टेयर खेतों में अभी भी भारी जलजमाव है. निकट भविष्य में पानी उतरने की संभावना भी नहीं दिख रही है. ये पंचायतें सबौर, कहलगांव, गोराडीह व सन्हौला प्रखंड क्षेत्र के गंगा का चौर क्षेत्र में है. नतीजतन किसान चना, मसूर, मटर, सरसों, मकई आदि की फसलों की बुआई नहीं कर पा रहे हैं. इन किसानों के सामने गंभीर आर्थिक संकट है. इनका कहना है कि यदि जल्द जलनिकासी नहीं हुई तो वह दूसरे के खेत में मजदूरी करने को मजबूर हो जाएंगे.किसानों का कहना है कि उनके पास खेती के अलावा कोई रोजगार का साधन नहीं है. पीड़ित किसानों की मानें तो यहां मछली पालन भी नहीं किया जा सकता है. दरअसल खेतों का सीमांकन नहीं हो पायेगा और कौन कैसे मछली का पालन कर पायेंगे. मछली पालन में विवाद की स्थिति बनेगी और खून खराबा की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.ईंट भट्टा के लिए बना दी गयी सड़क और पानी निकासी को कर दिया बंद
लैलख से लेकर पक्कीसराय तक ईंट भट्टा के कारण हाल के दिनों में सड़क व बांध बना देने के कारण चौर इलाकों का पानी नहीं निकल पाता है. पिछले तीन साल से यह समस्या शुरू हुई है. इस बार भयावह स्थिति बन गयी है. सबौर व गोराडीह क्षेत्र में फोरलेन निर्माण के कारण पानी ठहर गया है.प्रभावित पंचायत व गांव
सबौर प्रखंड की खनकित्ता, राजपुर, फतेहपुर मौजा, रजंदीपुर, कुरपट, चंदेरी, बैजलपुर. गोराडीह की घीया, रायपुरा, अगरपुर, सालपुर. सन्हौला की तारड़, सोनूडीह. कहलगांव की प्रशस्तडीह, कोदवार, सिमरो, उदयरामपुर, गोपालपुर आदि.नहीं मिल पा रहा है सस्ता चना व सरसों साग और अगैती मटर
प्रगतिशील किसान कृष्णानंद सिंह का कहना है कि गंगा का पानी उतरने के बाद यहां बिना खाद के जमीन उर्वर रहती थी. इसमें न सिंचाई की जरूरत होती और न ही खाद की. उत्पादन भी उम्मीद से अधिक होता है. आमतौर पर दुर्गा पूजा से पहले ही पानी उतर जाता है और रबी फसल की अगैती खेती शुरू हो जाती थी. जिससे क्षेत्र में सस्ता चना व सरसों का साग और अगैती मटर बाजार में आ जाता था. यहां गोड्डा, दुमका, बांका आदि जिले तक अगैती मटर व साग की आपूर्ति होती थी.———–
हाई कोर्ट में किसानों ने पीआइएल किया था दायर, फिर कमिश्नर वंदना किनी ने की थी त्वरित कार्रवाई
2022 में पहली बार यहां समस्या आयी थी. पीड़ित किसानों ने हाई कोर्ट में पीआइएल दायर किया था. फिर निर्देश के बाद कमिश्नर वंदना किनी ने समस्या का समाधान 72 घंटे में करा दिया था. त्वरित निर्देश के बाद माइनिंग विभाग के पदाधिकारियों ने पानी निकलवा दिया और फिर रबी फसल की खेती शुरू हो गयी थी.कृष्णानंद सिंह, प्रगतिशील किसान, सिमरोकहते हैं जनप्रतिनिधि
फोरलेन का बांध बनने और ईंट भट्टा के कारण इलाके के खेतों में पानी भरा हुआ है. खेती नहीं हो पा रही है. जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है. एक बार फिर मिलकर समस्या के समाधान की मांग करेंगे.जयप्रकाश मंडल, सदस्य, जिला परिषद सदस्य, सबौर————-पिछले तीन सालों से समस्या बढ़ गयी है. कई किसानों के पास एक बीघा भी खेती नहीं बची है. ऐसे में खाने के लाले पड़े हैं. लोग बाहर जाने को विवश हो गये हैं.
वासुदेव सिंह, बुजुर्ग किसान————–जिलाधिकारी से मिलकर समस्या के समाधान की मांग करेंगे. पीड़ित किसानों को एकजुट किया जा रहा है. इससे पहले प्रखंड विकास पदाधिकारी को अवगत करा चुके हैं.राकेश सिंह, उप मुखिया, प्रशस्तडीह पंचायत, कहलगांव
————–यदि समाधान नहीं कराया गया, तो आत्मदाह को विवश होंगे. अभी पानी सूखने का इंतजार कर रहे हैं कि किसी तरह खेती शुरू हो जाये और भविष्य संवर सके.राजेंद्र मंडल, किसान, सिमरो————–
बॉक्स के लिए…..किसानों ने दर्द किया बयां, दी आत्मदाह की चेतावनी
सिमरो के किसान वासुदेव सिंह, चंद्रशेखर सिंह, रमेश मंडल, अनिल सिंह, कृष्णानंद सिंह, राजेंद्र मंडल, साजन मंडल, हीरालाल मंडल, प्रेमप्रकाश सिंह, प्रशस्तडीह के उप मुखिया राकेश सिंह, सालपुर के विलास मंडल, किरो यादव, रामदास यादव आदि किसानों ने अपना दर्द बयां किया. इन किसानों ने जिला प्रशासन को आत्मदाह की चेतावनी दी है. कहा है कि यदि जल्द जल निकासी नहीं हुई तो आत्मदाह के लिए मजबूर होंगे.
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