भागलपुर में रहते हैं गुजरात के तीन परिवार, गरबा में गूंजेगी इनकी तालियां

पूर्वी बिहार में जब रियल इस्टेट का कारोबार बढ़ने लगा, तो गुजरात के तीन परिवार सात साल पहले पटना के बाद भागलपुर पहुंचे

By Prabhat Khabar News Desk | September 30, 2024 9:53 PM

पूर्वी बिहार में जब रियल इस्टेट का कारोबार बढ़ने लगा, तो गुजरात के तीन परिवार सात साल पहले पटना के बाद भागलपुर पहुंचे और इससे जुड़े बिजनेस टाइल्स, सीमेंट ब्लॉक आदि से जुड़ गये. इस बार स्थानीय लोगों के बीच गरबा व डांडिया नृत्य में शामिल होकर तीनों परिवारों के सदस्य थिरकेंगे और अपनी गुजराती संस्कृति से अवगत कराएंगे.

प्रभात खबर से विशेष बातचीत में हीरेन पटेल की पत्नी निराली बेन ने बताया कि सात साल पहले पटना में रहते थे. बिजनेस के सिलसिले में भागलपुर पहुंचे. यहां उनके साथ शैलेश पटेल, संजय पटेल अपने परिवार व बच्चों के साथ आये. यहां रहकर बिजनेस कर रहे हैं और यहां की संस्कृति से घुलने-मिलने का प्रयास कर रहे हैं.

भागलपुर की आवोहवा व गंगा बहुत अच्छी, बीमार नहीं पड़ते बच्चे

हीरेन पटेल व निराली बेन गुजरात के राजकोट मोरबी के रहने वाले हैं, तो शैलेश पटेल व उनकी पत्नी दक्षा बेन एवं संजय पटेल व उनकी पत्नी मनीषा बेन अहमदाबाद के रहने वाले हैं. इनलोगों का कहना है कि यहां की संस्कृति बहुत अच्छी लगती है. खासकर गंगा व शुद्ध वातावरण बहुत पसंद है. दक्षा बेन ने कहा कि यहां की आवोहवा इतनी अच्छी है कि उनके बच्चे बीमार नहीं पड़ते, जबकि गुजरात में प्रदूषण लेवल अधिक बढ़ा हुआ है. हमेशा बीमारी होती है और दवा लेनी पड़ती है. निरानी बेन ने बताया कि उनके सगे-संबंधी जब भी भागलपुर आते हैं, तो गंगा देखने जरूर जाते हैं. दरअसल समुद्र का खारा पानी और गंगा का मीठा जल में बहुत अंतर है. यहां का जल सौगात के रूप में गुजरात ले जाते हैं.

सूत्रधार बनीं श्रीकृष्णा कलायन कला केंद्र की निदेशक श्वेता सुमन

श्रीकृष्णा कलायन कला केंद्र की ओर से निदेशक श्वेता सुमन के संयोजन में गोशाला में बुधवार को डांडिया-गरबा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. विशिष्ट अतिथि के तौर पर यही गुजराती परिवार होंगे. गुजराती परिवार को ढूंढ़ने और यहां के लोगों से अवगत कराने का काम श्वेता सुमन ने किया. कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् की संस्कृति को जीवंत किया जायेगा. यह उत्सव सबों के लिए यादगार हो, ऐसी कोशिश महालया के दिन होगी.

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मां दुर्गा की आराधना के लिए नृत्य के जरिये मनुष्य की सभी अवस्था को दर्शाती है गरबा

गुजराती परिवारों ने बताया कि गरबा में मनुष्य के जीवन चक्र को प्रदर्शित किया जाता है. मां दुर्गा की आराधना में नृत्य करते हुए जीवन की सभी अवस्था को दर्शाया जाता है. गरबा नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा, मंजीरा आदि का ताल देने के लिए प्रयोग होता है. महिलाएं दो अथवा चार के समूह में मिलकर विभिन्न प्रकार से आवर्तन करती हैं और देवी के गीत गाती हैं. रंगीन वेश-भूषा पहने हुए गरबा और डांडिया का प्रदर्शन करते हैं. लड़कियां चनिया-चोली पहनती हैं और साथ में विविध प्रकार के आभूषण पहनती हैं तथा लड़के गुजराती केडिया पहन कर सिर पर पगडी बांधते हैं. आधुनिक गरबा में नयी तरह की शैलियों का उपयोग होता है, जिसमें नृत्यकार दो ताली, छह ताली, आठ ताली, दस ताली, बारह ताली, सोलह तालियां बजा कर खेलते हैं.

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