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हत्याकांड के संदिग्धों के साथ थाना में अमानवीय व्यवहार का लगा था आरोप, थानेदार सहित दो दाराेगा लाइन क्लोज

हत्याकांड के संदिग्धों के साथ थाना में अमानवीय व्यवहार का लगा था आरोप, थानेदार सहित दो दाराेगा लाइन क्लोज

गोराडीह में विगत शुक्रवार देर रात हुए सुमेश मंडल हत्याकांड मामले में हिरासत में लिये गये संदिग्धों से पूछताछ के दौरान अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगा था. मामले संज्ञान में आने के बाद एसएसपी ने डीएसपी विधि व्यवस्था को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. उक्त मामले में जांच के बाद डीएसपी की ओर से मामले की प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गयी. जिसके आधार पर प्रशासनिक और विधि व्यवस्था के दृष्टिकोण से गोराडीह थानाध्यक्ष पुलिस इंस्पेक्टर शांता सुमन को पद हटा दिया गया है. साथ ही गोराडीह थाना में पदस्थापित एसआइ (दारोगा) सनोज कुमार राजवंशी और एसआइ विनोद कुमार सहित थानाध्यक्ष को लाइन क्लोज कर दिया गया. मिली जानकारी के अनुसार मामले में कार्रवाई से पुलिस अधिकारियों ने डीआइजी से कंसेंट लिया. जिसके बाद कार्रवाई की है. मामले में जल्द ही विभागीय जांच शुरू किये जाने की बात भी कही गयी. मामले को लेकर सिटी एसपी राज ने बताया कि मामले में अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद मामले की जांच करायी गयी. जिसमें संदिग्धों के साथ पूछताछ के दौरान की गयी सख्ती की बात की पुष्टि हुई है. हालांकि मामले में जख्मी लोगों के द्वारा प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालने और करंट लगाने जैसे आरोप गलत पाये गये. जिसके आधार पर मामले में कई बिंदुओं पर विचार विमर्श करने के बाद कार्रवाई की गयी है. उक्त मामले में एक अन्य पुलिस पदाधिकारी एसआइ विनोद कुमार के विरुद्ध भी जख्मियों द्वारा आरोप लगाये जाने की बात पर सिटी एसपी द्वारा मामले में उक्त बिंदु पर भी जांच करायी गयी. जिसके बाद देर शाम उक्त पदाधिकारी के विरुद्ध आरोपों में सत्यता सामने आने के बाद उन्हें भी लाइन क्लोज कर दिया गया. सिटी एसपी ने बताया कि मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिये गये संदिग्धों के विरुद्ध हत्या से पूर्व सुमेश मंडल के साथ मौजूद होने के साक्ष्य मिले थे. जिसके आधार पर उनको पूछताछ के लिए थाना बुलाया गया था. मामले में तत्काल ठोंस साक्ष्य नहीं मिलने के बाद उन्हें बांड पर छोड़ा गया है. अस्पताल में भर्ती जख्मी लोगाें ने कहा, जिस तरह का व्यवहार किया गया उसके सामने कार्रवाई कुछ नहीं मायागंज अस्पताल के ट्राॅमा वार्ड में भर्ती गोराडीह थाना पर आरोप लगाने वाले छह जख्मी लोगों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने उनकी बातों को सुना इसके लिए उनका आभार है. और इस वजह से कानून और पुलिस प्रति विश्वास जगा हुआ है. पर जिस तरीके से उन लोगों के साथ थाना में अमानवीय व्यवहार किया गया है उसके सामने पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध की गयी कार्रवाई कुछ भी नहीं. उन्होंने बताया बुधवार को सांसद द्वारा अस्पताल प्रबंधन को निर्देशित किये जाने के बाद से उन्हें न तो डिस्चार्ज किये जाने का दबाव बनाया गया और न ही कोई पुलिस कर्मी उन्हें धमकाने के लिए पहुंचा. उन्होंने बताया कि बुधवार देर शाम पटना से पहुंची कुछ अफसरों ने उनका बयान लिया है. जिसमें उन लोगों उनके साथ हुई आपबीती की जानकारी ली है. राज्य महादलित आयोग के पूर्व सदस्य ने पुलिस के कृत्य की घोर निंदा की राज्य महादलित आयोग के पूर्व सदस्य संजय कुमार राम की ओर से गुरुवार को मामले को लेकर वरीय पुलिस अधीक्षक को गोराडीह में दलित परिवार के लोगों के साथ थाना में किये गये अमानवीय व्यवहार को लेकर पत्र लिखा गया है. जिसमें उन्होंने दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने के साथ साथ भविष्य में इस तरह की घटना को अंजाम न दिया जाये इसके लिए उचित कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने आवेदन में इस बात का भी उल्लेख किया है कि एक तरफ सरकार दलितों को मुख्य धारा में लाने के लिए दर्जनों योजनाएं बना रही है. दूसरी तरफ पुलिस द्वारा सरकार के सपनों को चकनाचूर करने का कृत्य निंदनीय है. उन्होंने पुलिस के इस कृत्य की घोर निंदा की है.

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