प्रभात खबर विशेष: टीएमबीयू के हालात पर पूर्व कुलपति की चिंता, समाधान का भी बताया रास्ता, पढ़ें अंगिका में

प्रभात खबर ने अंग-अंगिका विशेष के तौर पर एक अलग कॉलम की शुरुआत की है जिसमें अंगिका भाषा को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रयास किया जा रहा है. टीएमबीयू के बिगड़े हालात और सामधान के रास्ते को अंगिका भाषा में ही पूर्व कुलपति बता रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2022 2:45 PM

प्रो अवध किशोर राय, पूर्व कुलपति: भागलपुर विश्वविद्यालय रो स्थापना 1960 के 12 जुलाय के बिहार सरकार के अधिसूचना पर होलो छलै. तखनी एकरो क्षेत्रफल बहुते जिला में फैल्लो रहै. दुमका जिला से लै के पूर्णिया, मिथिलांचल, मुंगेर, जमुई जिला में आबे वाला महाविद्यालय यही विवि के अंग छलै.

समय बदललै, आय तिलकामांझी भागलपुर विवि में केवल 12 अंगीभूत महाविद्यालय के अलावा संबद्ध महाविद्यालय आरु सब्भे स्नातकोत्तर विभाग बची गेलै. इ लंबा अंतराल में विवि के कुलपति के पद पर कई विद्वानों रो नियुक्ति केलो गेलै. रामधारी सिंह दिनकर, डॉ भृगुनाथ सिंह, डॉ रामाश्रय यादव, डॉ प्रेमा झा, डॉ शालिग्राम सिंह, डॉ रामाशंकर दुबे ऐहनो हस्ताक्षर इ पदो के सुशोभित करलकै.

इ महज एक संजोगे छै कि हम्मे इ विवि में 60 के दशक में एक छात्र के रूप में नामांकन लेने छलियै. मास्टर आरु शोध के डिग्री के बाद 70 के दशक में स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग में शिक्षक के रूप में कार्य करै के मौका मिल्लै. 2014 में अवकाश ग्रहण करै सें एक साल पैहने इ विवि में हमरो नियुक्ति प्रतिकुलपति के रूप में करलो गेलै.

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विवि में कुलपति के रूपो में भी काम करलियै. यहे कारण छै जे विवि रो कार्यशैली के अनुभव छै. 2014 सें 2020 तक विवि के स्वर्णिम काल कहना कोनो अतिशयोक्ति नै होतै. कैहने कि यही कालखंड में विवि आरु कई कॉलेजो के नैक से मान्यता भेटलै. साथैं कई दीक्षांत समारोह आरु शोध-सेमिनार के भी आयोजन होलै. कोय भी विवि के शिक्षा व्यवस्था, शिक्षक के कर्तव्यनिष्ठा आरु पदाधिकारी के सहभागिता से ही संभव छै. छात्र सब के शिक्षा के प्रति जागरूक करलो जाय सकै छै.

आदर्श शिक्षा के लक्ष्य के पाना तभिये संभव छै, जब छात्र, शिक्षक आरु अभिभावक के संयुक्त प्रयास होतै. इधर कुछ सालो से विवि के शिक्षा में गिरावट देखलो जाय रहलौ छै. एकरो मुख्य कारण चारों स्तंभ में समन्वय के कमी छै. यै कारण परीक्षा सत्र के पीछू, शोध के सही ढंग से परिचालन नै आरु समय पर परीक्षाफल प्रकाशित नै होय रहलो छै. इ तभिये संभव हुवे सकै छै, जब पदाधिकारी-कर्मचारी आरु विश्वविद्यालय-महाविद्यालय के समन्वय बनलो रहै.

इ स्वाभाविक छै जे जब एक व्यक्ति पद एक सें अधिक विवि के प्रभार रहतै, ते काम के पूर्ति में विलंब हुवे सकै छै. शिक्षा विभाग आरु राजभवन के हस्तक्षेप सें कार्यशैली में अपेक्षित सुधार लानलो जाय सकै छै. आबियै, अंगजनपद के सब शिक्षाप्रेमी मिली के शिक्षण संस्थान आरु विवि के स्थिति के सुचारु रूप सें संचालित करै में सहयोग प्रदान करियै, ताकि खोय गेलो गरिमा के वापस लानलो जाय सकै.

Published By: Thakur Shaktilochan

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