TMBU: भागलपुर में तमाम विवादों और जांच के बाद, TMBU ने नए बैच के शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विश्वविद्यालय में कुछ शोध पत्रों में गड़बड़ी मिलने के बाद, 39 शिक्षकों को शपथ पत्र भेजा गया है और उन्हें इसे दो दिनों के भीतर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी से प्रमाणित कराने के लिए कहा गया है.
शोध पत्रों में गड़बड़ी और प्रमोशन पर सवाल
गुरुवार को हुई सिंडिकेट की बैठक में कुल 108 शिक्षकों के प्रमोशन पर चर्चा की गई. इसमें से 69 शिक्षकों के दस्तावेज सही पाए गए, जबकि 39 शिक्षकों के शोध पत्रों की प्रामाणिकता पर आपत्ति जताई गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो शिक्षकों ने दूसरों के आर्टिकल पर अपना नाम देकर उसे प्रस्तुत किया था, जबकि बाकी आर्टिकल्स का ऑनलाइन मिलान नहीं किया जा सका. कई शिक्षकों के आर्टिकल यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त जर्नल्स से प्रकाशित नहीं थे, जिससे प्रमोशन के मानकों पर सवाल उठे.
शिक्षक संघ का विरोध
शिक्षक संघ भुस्टा ने इस शपथ पत्र की प्रक्रिया का विरोध किया है, जिसमें शिक्षकों से शपथ पत्र मांगने को मानसिक प्रताड़ना करार दिया गया है. संघ ने विवि प्रशासन से तत्काल प्रभाव से इस पत्र को वापस लेने की मांग की है. शिक्षक संघ के नेताओं का कहना है कि इस प्रकार का कदम शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाता है और यह गलत तरीके से दबाव डालने जैसा है.
कुलपति और रजिस्ट्रार की प्रतिक्रिया
विवि प्रशासन की ओर से रजिस्ट्रार प्रो रामाशीष पूर्वे ने शपथ पत्र भेजने की प्रक्रिया की पुष्टि की है. साथ ही, उन्होंने शिक्षकों से यह भी कहा कि अगर भविष्य में किसी शिक्षक के आर्टिकल की वैधता नहीं पाई जाती है, तो उनकी प्रमोशन निरस्त की जा सकती है. सिंडिकेट सदस्य डॉ. संजीव कुमार सिंह ने भी कहा था कि सभी शिक्षकों को प्रमोशन मिलनी चाहिए और यदि किसी के दस्तावेज में गड़बड़ी मिलती है तो उसकी जांच की जानी चाहिए.
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यह मामला TMBU के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण बन गया है, जिसमें शिक्षकों के अधिकारों और विश्वविद्यालय की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.