टीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहर लाल बिजली मामले को लेकर शनिवार को सिंडीकेट हॉल में अधिकारियों व अधिवक्ता के साथ बैठक की. बैठक में बिजली विभाग के अधिकारियों को भी भाग लेना था. इसे लेकर रजिस्ट्रार ने विद्युत कंपनी को पत्र लिखा था. विवि द्वारा भेजी सूचना के बावजूद बिजली कंपनी के एक भी अधिकारी बैठक में भाग लेने नहीं आये. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि टीएमबीयू प्रशासन बिजली विभाग की मनमानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. इसे लेकर बिजली मामले में विद्युत कंपनी पर एफआइआर दर्ज कराया जायेगा. विश्वविद्यालय हाईकोर्ट व विद्युत नियामक बोर्ड में भी केस दायर करेगा. बिजली कंपनी ने बैठक के औचित्य पर ही उठाया सवाल बैठक में बताया गया कि बिजली कंपनी ने टीएमबीयू के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर कागजात की मांग के साथ बैठक के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया. रजिस्ट्रार द्वारा विभाग को भेजे गये पत्र में स्पष्ट रूप से बिजली मामले में विद्युत कंपनी द्वारा विश्वविद्यालय की जमीन के हस्तांतरण व अधिग्रहण करने से संबंधित अभिलेख लेकर 29 जून को आयोजित होने वाली बैठक में भाग लेने के लिए कहा गया था. उधर, कुलपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जिस जमीन पर बिजली कंपनी का पावर ग्रिड व कार्यालय संचालित हो रहा है. वह टीएमबीयू की जमीन पर है. उस जमीन का मालिकाना हक और स्वामित्व विश्वविद्यालय का है. विश्वविद्यालय की जब यह जमीन गवर्नर के नाम से है. तब किस परिस्थिति में बिजली विभाग ने इसका हस्तांतरण व अधिग्रहण किया है. साथ ही गलत बिजली बिल भेजकर विश्वविद्यालय को परेशान भी कर रहा है. वीसी ने कहा कि बिजली मामले में राजभवन, राज्य सरकार व बिजली कंपनी के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत कराया जायेगा. बैठक में सभी अधिकारी मौजूद थे. ——————– बिजली कंपनी ने फिर भेजा तीन करोड़ का बिजली बिल बैठक में बताया गया कि बिजली कंपनी का एक और नया कारनामा सामने आया है. कुलपति प्रो लाल ने बताया कि विद्युत कंपनी ने टीएमबीयू को जो हालिया बिजली बिल भेजा है. उसमें बिहार सरकार के कल्याण विभाग द्वारा संचालित वेलफेयर हॉस्टल का तीन करोड़ रुपये का बिजली बिल भी जोड़कर भेज दिया है, जो आश्चर्यजनक व दुर्भाग्यपूर्ण है. जबकि वेलफेयर हॉस्टल का बिजली बिल का भुगतान कल्याण विभाग खुद करता है. जबकि विद्युत कंपनी का विश्वविद्यालय पर 12 करोड़ की जगह अब 15 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया बता रहा है. ————————- बिजली मामले में रजिस्ट्रार पर अड़ंगा लगाने का आरोप कुलपति ने कहा कि रजिस्ट्रार के अड़ंगा लगाये जाने के कारण ही अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से बिजली विभाग के खिलाफ कार्रवाई में देरी हुई है. जबकि बिजली मामले में पहले ही सिंडीकेट ने भी कंज्यूमर कोर्ट में केस दर्ज करने को कहा था. रजिस्ट्रार के अड़ियल रवैये के कारण बिजली मामले में कार्रवाई करने में विलंब हो रहा है. सिंडीकेट की बैठक में इस मामले में स्पष्ट निर्देश प्राप्त है. लेकिन रजिस्ट्रार न तो सिंडीकेट की बात मान रहे हैं, और न ही कुलपति के आदेश का पालन कर रहे हैं. वीसी ने कहा कि बिजली मामले में किसी भी तरह की समस्या व विद्युत कनेक्शन काटा जाता है, तो रजिस्ट्रार जिम्मेवार होंगे.
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