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दिल्ली की एजेंसी ने घाटा बता कर बाइपास टोल प्लाजा को किया सरेंडर, दूसरी ने संभाली जिम्मेदारी

बाइपास स्थित टोल प्लाजा को संबंधित एजेंसी ने सरेंडर कर दिया है. टोल प्लाजा की अव्यवस्था और घाटे को देखते हुए एजेंसी ने यह कदम उठाया है.

11 माह के दौरान टोल प्लाजा को सरेंडर करने वाली यह चौथी कंपनी है वरीय संवाददाता, भागलपुर बाइपास स्थित टोल प्लाजा को संबंधित एजेंसी ने सरेंडर कर दिया है. टोल प्लाजा की अव्यवस्था और घाटे को देखते हुए एजेंसी ने यह कदम उठाया है. शुक्रवार को उसकी जगह दूसरी एजेंसी ने जिम्मेदारी संभाल ली है. वहीं, टोल प्लाजा का एक नंबर बैरियर खराब है, जिस वजह से इसे बंद कर दिया गया है. दरअसल, एक नंबर बैरियर के खराब होने की सूचना एनएचएआई को कई बार दी गयी, लेकिन, इसको नजरअंदाज किया जाता रहा और यह सही नहीं हो सका. बैरियर के खराब होने से अक्सर रात में जाम लगता था. इस वर्ष फरवरी में टेंडर लेने वाली दिल्ली की सोनू कुमार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसने सरेंडर कर दिया है. जिसने भी लिया ठेका, चार माह से ज्यादा नहीं टिका टोल प्लाजा का अब तक जिसने भी ठेका लिया है, वह तीन-चार महीने से ज्यादा नहीं टिक सका है. एजेंसी घाटा बता देती है. दिल्ली की सोनू कुमार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने दो माह पहले ही एनएचएआई को सरेंडर करने की अर्जी दी थी. इसके बाद टेंडर कर दूसरी कंपनी को जिम्मेदारी दी गयी है. दिल्ली की यही वह कंपनी है जिसने शुरूआत में यानी, बाइपास बनने पर सबसे पहले टोल टैक्स की जिम्मेदारी तीन वर्ष तक ली थी. लेकिन, टोल टैक्स कलेक्शन में घाटा होता देख जिम्मेदारी सरेंडर करने की अर्जी एनएचएआई को दे दी. कंपनी में महिला और पुरुष मिलाकर 55 कर्मचारी कार्यरत थे. पिछले 11 माह में चार कंपनियों ने छोड़ा टोल प्लाजा पिछले 11 माह में 4 कंपनियों से टोल प्लाजा की जिम्मेदारी के लिए टेंडर डाला. एक सितंबर 2023 को नागपुर की केसीसी लिमिटेड ने दो माह में ही 20 नवंबर को घाटा बताकर सरेंडर कर दिया. 21 नवंबर 2023 को राजस्थान की ऋषिराज कंपनी को टोल का टेंडर मिला. इस कंपनी ने भी तीन माह बाद फरवरी में ही टोल को सरेंडर कर दिया. सोनू कुमार नाम की कंपनी ने फरवरी में जिम्मेदारी ली और तीन माह बाद मई में सरेंडर का आवेदन कर दिया. कर्मियों के अनुसार घाटे के कारण ही टेंडर बीच में छोड़ना पड़ता है. अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक मध्यप्रदेश के जबलपुर की कंपनी वंशिका कंस्ट्रक्शन ने एक वर्ष का टेंडर पूरा किया था. वर्तमान में जिम्मेदारी संभाल रही दिल्ली की कंपनी ने 2019 से 2021 तक यानी पूर्व में दो साल के लिए टेंडर लिया था.

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