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संपूर्ण क्रांति ने लोकतंत्र में तानाशाही की प्रवृत्ति को समाप्त किया: प्रो सुरेंद्र

संपूर्ण क्रांति हमेशा जीवित रहेगी. यह कहना है गांधी शांति प्रतिष्ठान नयी दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो सुरेंद्र भाई का. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्देू पर उत्पन्न हुई यह क्रांति आज भी जीवित है.

भागलपुर. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग में शुक्रवार को बिहार में संपूर्ण क्रांति आंदोलन के 50 वर्ष विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण व स्वराज कक्षा में दीप जलाकर किया गया. मुख्य वक्ता व गांधी शांति प्रतिष्ठान नयी दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो सुरेंद्र भाई ने कहा कि संपूर्ण क्रांति के मुद्दों में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा था. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उत्पन्न यह क्रांति आज भी जीवित है. क्योंकि भ्रष्टाचार गहरा होता चला गया है. संपूर्ण क्रांति ने लोकतंत्र में तानाशाही की प्रवृत्ति को समाप्त किया.

संपूर्ण क्रांति जीवित है, जीवित रहेगा

प्रो सुरेंद्र भाई ने कहा कि आज के संदर्भ में आने वाले पीढ़ी के लिए हर तानाशाही के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा के रूप में संपूर्ण क्रांति जीवित है, जीवित रहेगा. वहीं, एबीवीपी के पूर्व अधिकारी हरेंद्र प्रताप ने कहा कि सत्ता न हो भ्रष्टाचारी, हमारी भी है जिम्मेदारी. जेपी विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रो फारुक अली ने कहा कि अंधेरे के तीन प्रकाश गांधी, लोहिया, जयप्रकाश हैं. गांधी शांति प्रतिष्ठान भागलपुर के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता ने कहा कि जेपी ने अहिंसक आंदोलन की शर्त पर नेतृत्व को स्वीकारा था. उन्होंने कहा कि विचार और कर्म में आज भी एक होने की आवश्यकता है.

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आंदोलन का लाभ उठाते हैं स्वार्थी तत्व

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो मनोज कुमार ने कहा कि किसी भी आंदोलन में दो तरह के लोग होते हैं. कुछ लोग स्वार्थी होते हैं, जो आंदोलन में इसलिए प्रवेश करते हैं, ताकि आंदोलन से लाभ उठा सकें. गांधी विचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार ने कहा कि स्थानीय आधार पर आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाना होगा. जब तक हम मांग और पूर्ति के अर्थशास्त्र के नियम को नहीं त्यागेंगे तब तक पूंजीपतियों के चंगुल में समाज फंसा रहेगा. मौके पर डॉ उमेश कुमार नीरज, गौतम कुमार, डॉ अमित रंजन सिंह, डॉ मनोज कुमार दास, डॉ देशराज वर्मा, डॉ सीमा कुमारी, नरेन नवनीत, रेणु सिंह, शमा परवीन, रूपेश कुमार, आराध्या सिंह, मधुकांत कुमार, सावन कुमार, विजय कुमार, अमरेश कुमार, रीना कुमारी, सुलोचना कुमारी, शिल्पा मिश्रा, उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास आदि मौजूद थे.

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