सूबे में इको-टूरिज्म को बिहार सरकार ने बढ़ावा देने का निर्णय लिया था. इस दिशा में वन विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है. चार एजेंसियों को बुधवार को बिहार सरकार के वन विभाग ने लिस्टेड कर लिया है. इन एजेंसियों का काम इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा.
संजीव झा.
इस प्रोजेक्ट के तहत भागलपुर की भी पहचान देश-विदेशों में बढ़ेगी. भागलपुर जिले को प्रकृति से उपहार के रूप में मिले गांगेय डॉल्फिन सेंचुरी का दर्शन करने के लिए भी पर्यटक यहां आयेंगे. इससे न सिर्फ भागलपुर को आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे. पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा.इको-टूरिज्म के क्षेत्र में कई स्थल हैं उपलब्ध
पर्यटन की दृष्टि से बिहार राज्य एक महत्वपूर्ण स्थल है. यह जैन धर्म और बौद्ध धर्म का जन्म स्थान और इससे जुड़े स्थल हैं. प्रकृति की शानदार सुंदरता, ऐतिहासिक स्मारक, पवित्र नदियां, देशी-विदेशी पक्षियों का विचरण स्थल, हस्तशिल्प, विशाल जल निकाय, प्रसिद्ध लोक नृत्य, मंत्रमुग्ध कर देने वाला संगीत और सबसे बढ़ कर यहां की मेहमाननवाजी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए है. भागलपुर में सुलतानगंज से कहलगांव तक गंगा के 60 किलोमीटर के क्षेत्र में गांगेय डॉल्फिन का अभयारण्य है. इसमें यदा-कदा मगरमच्छ और घड़ियाल भी देखे जाते हैं. कछुओं की कई प्रजातियों का झुंड गंगा में देखा जा सकता है. जगतपुर झील में रंग-बिरंगी देशी-विदेशी पक्षियों को देखा जा सकता है.इको-टूरिज्म के उपयोग का उद्देश्य
लोगों को प्रकृति के करीब आने का मौका मिलेगा. पर्याप्त प्राकृतिक खूबसूरती से भरे क्षेत्र को पहचान मिलेगी. विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक तौर पर समृद्धि आयेगी. विकास के द्वार खुलेंगे.
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