अब अंगराज कर्ण प्रशाल कहलायेगा टाउन हॉल
अब भागलपुर स्थित टाउन हॉल का नाम बदलकर अंगराज कर्ण प्रशाल हो जायेगा. गुरुवार को नगर निगम सामान्य बोर्ड की समीक्षात्मक बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो गया.
अब भागलपुर स्थित टाउन हॉल का नाम बदलकर अंगराज कर्ण प्रशाल हो जायेगा. गुरुवार को नगर निगम सामान्य बोर्ड की समीक्षात्मक बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो गया. जिसे कार्यालय प्रस्ताव के रूप में सदन के सामने रखा गया. मेयर डॉ बसुंधरालाल ने कहा कि देश और दुनिया में भागलपुर की पहचान ऐतिहासिक भूमि अंग जनपद के रूप में है. यहां के राजा दानवीर कर्ण की प्रसिद्धि शास्त्रों में वर्णित है.
45 मिनट देर से शुरू हुई बैठक
बैठक की अध्यक्षता मेयर डॉ बसुंधरालाल ने की. दोपहर 12:15 बजे शुरू हुई बैठक रात्रि 8:20 बजे तक चली. हंगामेदार बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर मुहर लगी. दरअसल वर्ष, 2024 में सामान्य समिति (बोर्ड) की सभी बैठकों के प्रस्तावों की समीक्षा की गयी. बैठक का निर्धारित समय 11:30 बजे रखा गया था. 45मिनट देरी से बैठक शुरू हुई. बैठक दोपहर 12 बजे मेयर व डिप्टी मेयर डॉ सलाहउद्दीन अहसन नगर निगम सभागार में पहुंचे. फिर 12:07 बजे नगर आयुक्त डॉ प्रीति पहुंची. मेयर डॉ बसुंधरालाल ने बैठक शुरू करने से पहले समीक्षात्मक बैठक से अवगत कराया. विभिन्न प्रस्तावों से सिटी मैनेजर विनय यादव ने सदन के पटल पर रखा, जिसे लेकर चर्चा हुई.कंबल खरीद मामले को लेकर शुरू हुई बैठक
एक सप्ताह के अंदर कंबल खरीद को लेकर होगा वर्क ऑर्डर : नगर आयुक्त
नगर आयुक्त डॉ प्रीति ने कहा कि नगर निगम की ओर से कंबल खरीद को लेकर जो प्रोसेस है, उसमें कोई कोताही नहीं बरत रहा है. अभी जैम पोर्टल में कुछ खामी है. जैम पोर्टल सही रहा, तो एक सप्ताह में वर्क ऑर्डर मिल जायेगा. टेक्निकल बिड हो गया है. इसी क्रम में पार्षद नेजाहत अंसारी व रश्मि रंजन ने कहा कि फरवरी में हीं कंबल खरीद को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया. पिछले साल तो कंबल खरीद ही नहीं हो पाया.मेयर व नगर आयुक्त के बीच चले आरोप-प्रत्यारोप के तीर
मेयर डॉ बसुंधरालाल ने कहा कि पिछली बैठक की अब तक प्रोसिडिंग अब तक नहीं मिली है. उन्हें केवल असंतोष शब्द लिखकर खानापूर्ति की जाती है. कोई संतोषजनक जवाब नहीं होता. अनुमोदन के लिए भेज दिया जाता है. फिर नगर आयुक्त डॉ प्रीति ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार काम कर रही हूं. उल्लंघन नहीं किया गया. स्थायी समिति सदस्य डॉ प्रीति शेखर ने मेयर के पक्ष में कहा कि हस्ताक्षर होने के बाद इसे पूर्ण माना जाता है. प्रोसिडिंग हमलोगों के पास भी नहीं आयी. नगर आयुक्त डॉ प्रीति ने जवाब देते हुए कहा कि प्रोसिडिंग की कॉपी में दोनों का साइन होना जरूरी है. विभाग के मार्गदर्शन के बिना प्रोसिडिंग को आगे नहीं बढ़ा सकेंगे.सम्मान को लेकर कई पार्षद दिखे तल्ख, तो शाखा प्रभारी व कार्यपालक अभियंता से होता रहा नोंक-झोक
पार्षद अभिषेक मिश्रा, अमित टिंकल, रंजीत मंडल, अनिल पासवान आदि नगर निगम में सम्मान को लेकर तल्ख दिखे. अभिषेक मिश्रा ने मलिन बस्ती टेंडर व रिटेंडर को लेकर योजना शाखा प्रभारी व तत्कालीन योजना शाखा प्रभारी पर काम में लेट-लतीफी का आरोप लगाया. तत्कालीन योजना शाखा प्रभारी मो रेहान ने जवाब देना शुरू किया तो दोनों में जवाब-सबाल को लेकर नोंक-झोक हो गया. फिर अभिषेक मिश्रा ने कार्यपालक अभियंता पर आवेदन मांगने का आरोप लगाया. कहा कि हड़काते हैं और कहते हैं चेंबर से निकलिये. आवेदन केवल मेयर, डिप्टी मेयर व नगर आयुक्त को पार्षद देंगे. इंजीनियर जवाब दें. कार्यपालक अभियंता ने कहा कि वे नगर निगम के कर्मी नहीं है, बकि नगर विकास प्रमंडल व नगर विकास विभाग से संचालित हैं. हमसे चेंबर में आकर बदतमीजी नहीं करें. पार्षद व ठेकेदार एक साथ नहीं बनें. भैया और सैंया एक साथ बनते हैं. फिर पार्षद अनिल पासवान ने कहा कि कहा कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि मेरे चेंबर में चोर-चमार आ गया. दलित होना क्या अभिशाप है. क्या गुनाह है दलितों का. आइंदा ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करें. नहीं तो एससी-एसटी धारा लगा देंगे. फिर मेयर डॉ बसुंधरालाल ने सभी को संभालते हुए कहा कि संयम से काम करें. ह्यूमन विंग बने. जिस काम के लिए विभाग ने भेजा है, उसे करें. पार्षद से समन्वय बनायें. बात अधिक बिगड़ते देख कार्यपालक अभियंता ने सॉरी कहकर मामले पर विराम दिया.
नये लाइट लगाने के आरोप पर मेयर ने रोशनी शाखा में निरीक्षण के लिए भेजा वार्ड 50 के पार्षद पंकज कुमार ने कहा कि यहां लाइट के अभाव की बात हो रही है और शहर में नये लाइट लग रहे हैं. मोहद्दीनगर दुर्गा स्थान, बरहपुरा आदि में नये लाइट लगाये गये. इसके बाद मेयर न सभी रोशनी शाखा जाकर नये व पुराने लाइट को जांच करने को कहा. पार्षदों का दल रोशनी शाखा प्रभारी प्रदीप झा के साथ ऑफिस पहुंचा. जहां कई वेपर मिले. किसी पार्षद ने नया होने का आरोप लगाया, तो किसी ने कहा कि नहीं पुराना ही है. जांच करने के बाद नगर आयुक्त ने शाखा प्रभारी से पूछा कितने पुराने वेपर हैं. मालूम हुआ कि लगभग 5000 वेपर हैं. फिर ठीक कराने पर बात बनी. इसी बीच नगर आयुक्त डॉ प्रीते ने कहा कि पहले विशेषज्ञ से जांच करायी जायेगी, कि कितना सही हो सकता है. ऐसा नहीं हो कि जितना लागत हो, उतने में मरम्मत हो. जब तक नगर विकास विभाग रोक नहीं हटा लेता, तब तक 100-100 वेपर वार्डों में लगाने का निर्देश मेयर डॉ बसुंधरालाल ने दिये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है