कर्ज लेकर की खेती, अब लागत पर भी आफत, बेटी की शादी के सपने रह गये अधूरे
किसी ने बेटी की शादी के लिए फसल की बुआई की, तो किसी ने बेटे का पढ़ाई का फीस भरने के लिए कर्ज लेकर मक्के की बुआई की थी. लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया. फसल की लागत पूंजी पर भी आफत बन गयी. मक्का फसल के भाव में लगातार गिरावट को देखकर किसान माथा पीट रहे हैं. घर में हजारों क्विंटल रखा मक्का खराब होने के कगार पर पहुंच गया है.
सुलतानगंज : किसी ने बेटी की शादी के लिए फसल की बुआई की, तो किसी ने बेटे का पढ़ाई का फीस भरने के लिए कर्ज लेकर मक्के की बुआई की थी. लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया. फसल की लागत पूंजी पर भी आफत बन गयी. मक्का फसल के भाव में लगातार गिरावट को देखकर किसान माथा पीट रहे हैं. घर में हजारों क्विंटल रखा मक्का खराब होने के कगार पर पहुंच गया है.
व्यापारी लेने को तैयार नहीं
व्यापारी लेने को तैयार नहीं हो रहे. सुलतानगंज प्रखंड क्षेत्र के दियारा व चौर बहियार के इलाके में बड़े पैमाने पर किसानों ने मक्का की खेती कर्ज लेकर किया है. बड़ी उम्मीद के साथ काफी मेहनत कर मक्का फसल का उपज भी अच्छी रही. फसल उपज को अच्छी देखकर किसान गदगद हो गये थे. करीब दो दर्जन से अधिक किसानों ने कर्ज लेकर मक्का फसल की बुआई की. लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. उपज फसल का लागत पूजी पर भी आफत बनी है.
हजारों क्विंटल रखा मक्का खराब होने के कगार पर
मक्का फसल का भाव में लगातार गिरावट को देखकर किसान माथा पीट रहे हैं. घर में हजारों क्विंटल रखा मक्का खराब होने के कगार पर पहुंच गया है. व्यापारी लेने को तैयार नहीं हो रहे हैं. अगर लेने को कोई तैयार भी होते हैं, तो फसल का भाव सुनकर किसान मुंह फेर लेते हैं. किसान संजीव चौधरी, सनोज यादव, नरेश कापरी, नरेश चौधरी, पिंटू कापरी आदि ने बताया कि मक्का फसल की उपज करने में काफी पैसा खर्च किया गया है. खाद बीज दुकानदार से उधार लेकर फसल में लगाए थे. दुकानदार फसल उपज के बाद लगातार उधार का पैसा जमा करने का दबाव बना रहे हैं. फसल की बिक्री नहीं हो रहा है.
फसल बेचकर करते बेटी की शादी
फसल उपज के बाद बड़ी उम्मीद के साथ बेटी की शादी करने के लिए तैयारी कर रखी थी. बेटी की शादी का खर्च फसल बेचकर करते. पैसा नहीं आया. बड़ी उम्मीद पाले थे कि धूमधाम से करेंगे बेटी की शादी, लेकिन सपने अधूरे रह गये. बेटी का रिश्ता भी टूट गया. फसल घर में देख कर रोना आ रहा है. लगातार कर्ज को लेकर मानसिक तनाव रहता है. लेकिन किस्मत में सभी साथ छोड़ दिया है.
फसल की ब्रिकी होती, तो पैसा भेज देते
एक किसान बताते हैं चार बीघा में मक्का फसल की बुआई की. जिसमें लगभग एक लाख पच्चीस हजार के आस पास खर्च हुआ है. खाद बीज दुकानदार को फसल उपज के अप्रैल मई माह उधार का पैसा देने का समय था. बेटा कोटा में इंजीनियरिंग का तैयारी करने गया है. लॉकडाउन में घर नहीं आया. कोचिंग संस्थान का फीस जमा करने के लिए बेटे पर दबाव बनाया जा रहा. फसल की ब्रिकी होती, तो पैसा भेज देते. आखिर क्या करें समझ से परे है.
क्या कहते हैं व्यापारी
कोराना के कारण रेल सेवा बंद है. किसान का फसल खरीद कर भेजने का कोई दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा है. आखिर फसल खरीद कर क्या करेंगे. किसान फसल खरीदने के लिए काफी दबाव बनाते हैं. अपनी पूंजी लगाकर कुछ किसानों की फसल खरीद रहे हैं. लेकिन फसल की सप्लाई बंद रहने के कारण भाव में काफी गिरावट आ गयी है. मजबूरन कोई किसान कम भाव में बेचने के लिए फसल मजबूर हैं. लेकिन माल काफी जमा हो गया है. आखिर लेकर ही क्या करेंगे.
posted by ashish jha