यूक्रेन में बमबारी के बीच ATM से निकालना पड़ता था पैसा, बिहार पहुंचे निशांत ने सुनायी आपबीती

यूक्रेन में एटीएम से पैसा निकालने के लिए बमबारी के बीच ही लाइन में खड़ा होना पड़ता था. हमेशा इसका शिकार होने का डर बना रहता था. मेडिकल कॉलेज के हाॅस्टल में बंकर बनाया गया था, जहां सुरक्षित रखा गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | March 7, 2022 2:14 PM

भागलपुर. यूक्रेन खारकिव से रविवार को कटहलबाड़ी के राकेश ठाकुर का पुत्र निशांत कुमार भागलपुर सुरक्षित वापस लौट आया. अपने पुत्र निशांत कुमार से मिल कर पिता राकेश ठाकुर व माता संजू ठाकुर भाव-विह्वल हो उठी और गले से लगा लिया. खारकिव में मेडिकल थर्ड ईयर स्टूडेंट निशांत ने बताया कि 24 फरवरी को खारकिव से रात्रि में बस से किव पहुंचना था, ताकि दूसरे दिन फ्लाइट पकड़ कर अपने देश भारत पहुंच सके. उसी दिन अचानक रूस ने हमला कर दिया. किव व खारकिव का एयरपोर्ट ध्वस्त हो गया. सारी फ्लाइट कैंसिल कर दी गयी. कर्फ्यू का दौर शुरू हाे गया. एटीएम से पैसा निकालने के लिए बमबारी के बीच ही लाइन में खड़ा होना पड़ता था. हमेशा इसका शिकार होने का डर बना रहता था.

10 दिन तक बंकर में रहने के हुए विवश

मेडिकल कॉलेज के हाॅस्टल में बंकर बनाया गया था, जहां सुरक्षित रखा गया था. यहां मोबाइल को फ्लाइट मोड पर रखना पड़ता था और भोजन बनाने के लिए मोबाइल टॉर्च का प्रयोग करना पड़ता था. कर्फ्यू में एक दिन में 12 दिन का राशन खरीदना पड़ा था.

दूतावास से जुड़े कर्नल मानिक व कर्नल अनुपम ने की मदद

भारतीय दूतावास से जुड़े कर्नल मानिक आनंद एवं कर्नल अनुपम आशीष ने पूरी मदद की. उनकी मदद से ही खारकिव में बमबारी के बीच 12 किलोमीटर तक पैदल चले. किसी तरह जान बचा कर ट्रेन से पहले लबीब गये, फिर चाऊ गये. 13 घंटे तक ट्रेन में नीचे बैठ कर आना पड़ा. यूक्रेन के लोग भारतीय होने का भेदभाव कर रहे थे. चाऊ के बाद हंगरी में प्रवेश किया. वहां से फ्लाइट पकड़ कर दो मार्च को अपने देश के लिए रवाना हुए. पांच मार्च को पटना पहुंचे और छह मार्च को सुबह भागलपुर पहुंचे.

Next Article

Exit mobile version