सनोखर पंचायत के वार्ड संख्या आठ की डीलर पूनम कुमारी द्वारा कम अनाज देने पर ग्रामीणों ने डीएम से लिखित शिकायत की है. ग्रामीणों ने डीएम को पांच दर्जन से ज्यादा लोगों का हस्ताक्षर किया हुआ शिकायत पत्र देते हुए आरोप लगाया है कि डीलर द्वारा प्रति युनिट आधा किलो अनाज कम देने की बात पूछने डीलर के पति और पुत्र द्वारा राशन कार्ड से नाम कटवाने की धमकी दी गयी. आवेदन में कुवेर कुमार पासवान, लक्ष्मी देवी, बल्ली दास, दिलखुश मुसहर, उर्मला देवी, मंटु मंडल, कुवेश्वर भरती सहीत 60 लाभुकों के हस्ताक्षर अंकित है.
महापर्व छठ : मिलती अद्भुत शक्ति, मन के विकारों का होता है ह्रास
लोक आस्था का महापर्व छठ में भक्ति, आस्था व स्वच्छता का खास ख्याल रखा जाता है. श्रद्धालु श्रद्धा से छठ पर्व मनाने दूर-दूर से सुलतानगंज पहुंचे हैं. प्रभात खबर से बातचीत में अपर रोड़ की रेखा देवी कहती हैं यह पर्व हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति और पर्यावरण के स्वभाव को बहुत निकट से जानने और समझने का अवसर देता है. कवयित्री उषा कुमारी ने बताया कि छठ पर्व हमारी अस्मिता और पर्यावरण की प्रासंगिकता के प्रति प्राकृतिक भाव उत्पन्न करता है. माला कुमारी ने कहा कि छठ व्रत का हमारा दूसरा वर्ष है. इस पर्व में डूबते व उगते सूरज को अर्घ्य देकर जीवन के आध्यात्मिक स्वरूप को समझते हैं. यह हमें पर्यावरण के प्रति सजग रहने का संकेत देता है. संगीत शिक्षिका व बिहार सरकार के पर्यावरण गीत रचयिता शालिनी कुमारी ने कहा कि छठ पर्व हमारे देश में 13वीं सदी के पूर्व से मनायी जाती है, जिसकी चर्चा मिथिला के साहित्यकार चंडेश्वर ने 13वीं सदी की पुस्तक कृत्य रत्नाकर में की है. 15वीं सदी के निबंधकार रूद्रधर ने पुस्तक कृत्य ग्रंथ में चार दिवसीय छठ पर्व के विधान को रेखांकित किया है. यह पर्व किसी कर्मकांड और पुरोहित के बिना ही संपन्न होता है., जिसमें स्वच्छता और शुचिता का विशेष ख्याल रखा जाता है. छठ व्रती सुनैना देवी कहती हैं कि इस पर्व से हमें अद्भुत शक्ति मिलती है व मन के विकारों का ह्रास होता है. यह पर्व हमें सामाजिक सहयोग के दायित्व को बताता है. अजगैवीनाथ साहित्य मंच के अध्यक्ष भावानंद सिंह ने कहा कि यह पर्व प्रकृति की विरासत को समृद्धशाली बनाने का संकेत देता है. डॉ श्यामसुंदर आर्य ने कहा कि पर्व में स्वच्छता, सहभागिता और सात्विकता का अमूल्य संदेश छिपा है. मनीष कुमार गूंज ने कहा कि छठ पर्व हमारी संस्कृति को जीवित रखने में अहम भूमिका निभा रहा है. वरिष्ठ कवि सुधीर कुमार प्रोग्रामर ने कहा कि दुनिया में हमारी पहचान व लोक आस्था का अति महत्वपूर्ण पर्व है.
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