विपरीत परिस्थिति में ग्राम दीदी संभाली परिवार की जिम्मेदारी और पुत्री बनी डॉक्टर, तो पुत्र बैंक पीओ

ग्राम दीदी व भागलपुर के पैड वुमेन की पहचान बना चुकी सिकंदरपुर निवासी उषा सिन्हा केवल कम पढ़ी-लिखी महिलाओं को आत्मनिर्भर ही नहीं बना रही है, बल्कि मां की भूमिका को भी बखूबी निभा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 11, 2024 9:21 PM

मदर्स डे पर विशेष

दीपक राव, भागलपुर

ग्राम दीदी व भागलपुर के पैड वुमेन की पहचान बना चुकी सिकंदरपुर निवासी उषा सिन्हा केवल कम पढ़ी-लिखी महिलाओं को आत्मनिर्भर ही नहीं बना रही है, बल्कि मां की भूमिका को भी बखूबी निभा रही है. उनकी परीक्षा उस समय ली गयी, जब 2015 में उनके सिर से पति का साथ छूट गया और बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. इस विपरीत परिस्थिति में दोनों बच्चों को सीमित संसाधन में तालीम दी और मुकाम तक पहुंचाया. बेटी डॉ जिमी पटना के आइजीएमएस में एमबीबीएस की डिग्री लेकर इंटर्नशिप कर रही है, तो पुत्र ने बीएचयू से मास्टर डिग्री लेने के बाद केनरा बैंक में बैंक पीओ का मुकाम हासिल किया.सिकंदरपुरनिवासी उषा सिन्हा ने बताया कि उनके पति मनोज वर्मा का जब निधन हुआ था, तब जिमी सेंट टेरेसा से 10वीं की परीक्षा में स्कूल टॉपर हुई थी. पुत्र मोहित मयंक और छोटा था. दोनों की जिम्मेदारी पूरी तरह उनके सिर पर आ गयी. पहले पति घर गृहस्थी की जिम्मेदारी देखते थे, तो सामाजिक कार्यों में स्वतंत्र रूप से अभिरुचि लेती थीं. खासकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रही थीं. घर-परिवार की जिम्मेदारी ओने के बाद भी कम पढ़ी-लिखी ग्रामीण व मोहल्ले की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना नहीं छोड़ा. अब तक 5000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हूं. महिला सशक्तीकरण पर काम करते हुए ही उन्हें संबल मिला. इसी कारण पति के निधन के बाद हौंसला नहीं हारी और कठिन परिश्रम के बल पर आसमान में परचम लहरा रही हूं. अभी आगे और भी मुकाम हासिल करना है.

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मदर्स डे पर आज 50 महिलाएं बनेंगी मांमदर्स डे पर रविवार को जिले में 50 से अधिक महिलाएं मां बनेंगी. केवल शहर में 30 महिलाएं मां बनेंगी. सदर अस्पताल व मायागंज अस्पताल में 20 महिलाओं की डिलीवरी की संभावना है. इसके अलावा निजी नर्सिंग होम में भी 20 से अधिक महिलाएं मां बनेंगी. सदर अस्पताल प्रभारी डॉ राजू ने बताया कि अभी पूरी तरह कंफर्म नहीं बताया जा सकता. किसी दिन 15 महिलाओं की डिलीवरी होती है, किसी दिन पांच से आठ महिलाओं की. हालांकि, अन्य स्वास्थ्यकर्मी की मानें तो लगभग पांच महिलाओं की डिलीवरी हो सकती है. वहीं, जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के गायनी विभाग की हेल्थ मैनेजर आभा सिन्हा ने बताया कि तीन मरीज वेटिंग में है. प्रतिदिन यहां औसतन 20 महिलाओं की डिलीवरी होती है. इतने ही संख्या में होने की संभावना है. इसमें सिजेरियन व नॉर्मल दोनों डिलीवरी शामिल है.

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