बिहार के तारापुर-असरगंज मिल्की जोरारी गांव निवासी विनय कुमार सिंह अपने छह वर्षीय पुत्र आदर्श को लेकर रविवार रात करीब 11 बजे जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी आये. आदर्श पेट दर्द से परेशान था. मां पिता लगातार बच्चे को भर्ती करने का आग्रह कभी पैर पकड़ तो कभी हाथ जोड़ डॉक्टर से कर रहे थे. फिर भी बिना नब्ज देखे डॉक्टर ने मरीज को सीधे पटना पीएमसीएच जाने के लिए कह दिया.
निराश परिजन आदर्श को लेकर ट्रेन से पटना निकल गये. जमालपुर के समीप रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. इस घटना से आक्रोशित पीड़ित के परिजन ने इसकी शिकायत प्रधान सचिव और अस्पताल अधीक्षक से किया है.
किसी डॉक्टर का नहीं मिला सहारा- पिता दिनेश कुमार सिंह ने बताया आदर्श की तबीयत अचानक खराब होने लगी. सबसे पहले ग्रामीण डॉक्टर से इलाज कराएं. दवा दिया गया लेकिन आराम नहीं हुआ. अंत में डॉक्टर ने आदर्श को जेएलएनएमसीएच रेफर कर दिया गया. रात करीब 11 बजे बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे. इमरजेंसी में कई डॉक्टर थे हमने इन से इलाज कराने का आग्रह किया.
डॉक्टर ने सीधा कहा आप यहां से चले जाये. बच्चे का इलाज संभव नहीं है. हम लोग डॉक्टर का पैर पकड़ते रहे आग्रह करते रहे किसी ने नहीं सूना. अस्पताल में सर्जरी विभाग से डॉ काशीनाथ पंडित और पीजी शिशु रोग विभाग के डॉ दिनेश की ड्यूटी इमरजेंसी में रविवार रात को थी.
लापरवाही की शिकायत प्रधान सचिव से किया- पुलिस पब्लिक समन्वय समिति सुल्तानगंज अध्यक्ष दीपांकर प्रसाद ने बताया मृतक के पिता मेरे रिश्तेदार है. लापरवाही की जानकारी हमने अधीक्षक को दिया. इन्होंने भी इसे लापरवाही माना और कार्रवाई का आश्वासन दिया. इसके बाद हमने प्रधान सचिव से इसकी शिकायत किया. फिर 104 नंबर पर कॉल कर इसकी शिकायत दर्ज कराया गया है. हमारी मांग है लापरवाह डॉक्टर पर विभाग कार्रवाई करे.
मामला सर्जरी का था तो क्यों नहीं दिखे- इमरजेंसी के डॉक्टरों ने बताया रात 11 बजे मरीज को लेकर परिजन आये थे. बच्चे की हालत गंभीर थी इसे तत्काल सर्जरी की जरूरत थी. हम लोगों ने मरीज के परिजनों से कहा बच्चे को भर्ती करे सर्जरी के डॉक्टर इलाज करेंगे. मरीज के साथ दूसरी जगह का एक मेडिकल कर्मी भी था. मरीज को लेकर सारी बात वहीं कर रहे थे. हमने अपनी बातों को कह दिया. कुछ देर बाद पता चला बच्चे को लेकर परिजन चले गये है. किसी ने भी बच्चे को रेफर नहीं किया है.
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ये लोग खुद से बच्चे को लेकर गये है. वहीं, सवाल यह है की रात में एक नहीं तीन तीन सर्जरी के डॉक्टर इमरजेंसी में बैठते है. बच्चे की तबियत बिगड़ रही थी तो सर्जरी के डॉक्टर ने इसे क्यों नहीं देखा. सर्जरी वार्ड के ये तीन डॉक्टर कहा थे. इन्होंने तत्काल एक्शन क्यों नहीं लिया. वहीं छह साल के आदर्श को क्या दिक्कत थी इसकी जांच करने के लिए पीजी शिशु रोग विभाग के डॉक्टर भी सामने नहीं आये.
मामले की जानकारी मरीज के परिजनों ने दिया है. इसकी गहन जांच होगी. जो भी दोषी पाये जायेंगे उन पर कार्रवाई तय है. इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जायेगा.
– डॉ एके दास, अस्पताल अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच