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Bhagalpur News: जेएलएनएमसीएच में वर्षों से प्रिजर्व हैं 2500 से अधिक मृतकों का विसरा, नहीं हो रही जांच

अब पोस्टमार्टम के तुरंत बाद पुलिस को बिसरा सौंप देता है प्रबंधन

ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर

नौलखा कोठी स्थित जेएलएनएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस में वर्षों से 2500 मृतकों का बिसरा प्रिजर्व है. मृत्यु के बाद मृत्यु के रहस्यों को उद्घाटित करने में विसरा जांच की अहम भूमिका होती है, लेकिन पोस्टमार्टम हाउस में रखे, मृतकों के विसरे की सुध लेने वाला कोई नहीं है. निश्चित रूप से अगर सभी विसरों की फोरेंसिक जांच हो तो 2500 कांडों में कई ऐसे कांड होंगे जिसमें चौकाने वाले खुलासे हो सकते हैं. लेकिन यह तभी होगा जब संबंधित जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी या थाने की पुलिस पदाधिकारी पोस्टमार्टम हाउस में रखे विसरे की सुध लेंगे.

अब पोस्टमार्टम के तुरंत बाद पुलिस को बिसरा सौंप देता है प्रबंधन

एक जनवरी वर्ष 2024 से नया नियम लागू हो गया है. जब जेएलएनएमसीएच प्रबंधन पोस्टमार्टम के तुरंत बाद मृतक का विसरा पुलिस को सौंप देती है. पोस्टमार्टम हाउस के तीन कमरों में सुरक्षित रखा गया करीब 2500 विसरा इस वर्ष से पहले के हैं. जानकारी मिली है कि एक माह में दो से चार विसरा का ही पुलिस पुराने विसरे का उठाव करती है. जानकारी मिली है कि सुरक्षित रखे गये 2500 विसरा में वर्ष 1974 से पिछले वर्ष तक के हैं. यहां पर सुरक्षित रखे गये विसरे भागलपुर, मुंगेर, कटिहार, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, बांका, खगड़िया, जमुई, लखीसराय और झारखंड के जिलों के मृतकों के हैं.

कहते हैं फोरेंसिक एक्सपर्ट

फाेरेंसिक एक्सपर्ट के अनुसार किसी की मौत हो जाने के बाद अगर पुलिस शव का पोस्टमार्टम कराती है, तो इस दौरान मरने वाले के शरीर से विसरल पार्ट यानि आंत, दिल, किडनी, लीवर आदि अंगों का सैंपल लिया जाता है, उसे ही विसरा कहा जाता है. अगर किसी शख्स की मौत संदिग्ध हालात में होती है तो उसकी मौत के पीछे पुलिस या परिवार को किसी भी तरह का शक होता है, तो ऐसे मामलों में मौत की वजह जानने के लिए विसरा की जांच की जाती है. विसरा की जांच केमिकल एक्जामिनर करते हैं. वो विसरा की जांच कर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि मौत कैसे हुई और मौत की वजह क्या थी? इस जांच में मौत का वक्त, मौत का बताया गया वक्त, शरीर के अंदरूनी अंगों का रंग, नसों की सिकुड़न, पेट में मिलने वाले खाने के अवशेष आदि बहुत अहम होते हैं. इसलिए विसरा जांच में मौत का कारण साफ पता चल जाता है. विसरा रिपोर्ट को न्यायालय में सबूत के तौर पेश किया जाता है.अब पोस्टमार्टम के तुरंत बाद विसरा पुलिस को सुपुर्द कर दिया जाता है. वर्षों से सुरक्षित विसरों का निष्पादन के लिए पुलिस को लिखा जाएगा. रखरखाव में काफी संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है. अगर पुलिस इनका निष्पादन कर लेती है तो संसाधनों का प्रयोग जनहित के दूसरे कार्य में किया जा सकेगा.

– प्रो डॉ उदयनारायण सिंह, प्राचार्य, जेएलएनएमसीएच, भागलपुरB

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