जल श्रमिक संघ व गंगा मुक्ति आंदोलन के सदस्य का जल सत्याग्रह
जल श्रमिक संघ व गंगा मुक्ति आंदोलन बिहार प्रदेश मत्स्य जीवी जल श्रमिक संघ के बैनर तले कागजी टोला के मछुआरों ने जल सत्याग्रह आंदोलन चला कोवा नदी में अवैध रूप से जलकर माफियाओं के घेराबाड़ी को हटाने की शुरुआत कर दी
जल श्रमिक संघ व गंगा मुक्ति आंदोलन बिहार प्रदेश मत्स्य जीवी जल श्रमिक संघ के बैनर तले कागजी टोला के मछुआरों ने जल सत्याग्रह आंदोलन चला कोवा नदी में अवैध रूप से जलकर माफियाओं के घेराबाड़ी को हटाने की शुरुआत कर दी है. कार्यक्रम का शुरुआत कहलगांव के कालीघाट से शुरू की गयी. कोवा नदी में करीब पांच किलोमीटर के भीतर जल सत्याग्रह के तहत तीन जगहों पर घेराबाड़ी समाप्त कराया. सभा में गंगा मुक्ति आंदोलन के कन्वेयर योगेंद्र साहनी ने कहा कि घेराबाड़ी में छोटी-छोटी मछलियां थी. उनका गंगा नदी में आना शुरू हुआ, लेकिन इस तरह का कार्यक्रम मत्स्य विभाग व वन विभाग की ओर से होना चाहिए था. दोनों विभाग की उदासीनता से नदियों में खुलेआम घेराबाड़ी लगता है, जिससे गंगा नदी में लगातार मछलियों की संख्या घट रही है. बड़ी-बड़ी मछलियों का पहले से ही आना बंद हो गया. जो भी गंगा में मछलियां बची है, उसे वन विभाग और मत्स्य विभाग समाप्त करने पर तुला है. मत्स्य विभाग, वन विभाग, पुलिस, सरकार को कोई चिंता नहीं है कि डॉल्फिन व मछुआरों की जीविका कैसे बचेगी.
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