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साईंनाथ दरबार में साप्ताहिक सत्संग भजन

भागवत कथा में कथा वाचिका ने कहा कि कलयुग में भगवान का नाम ही मोक्ष का सरल साधन

अनुमंडल अंतर्गत इकलौता नवनिर्मित शिर्डी साईंनाथ मंदिर में विगत कई वर्षों से साप्ताहिक सत्संग मंदिर के कमेटी के सदस्यों के द्वारा कराया जाता है. सोमवार को विशेष सत्संग भजन कार्यक्रम में संतमत के लडडू बाबा ने सत्संग भजन व प्रवचन किया. सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सत्संग के महत्ता का रसपान किया. प्रवचन में उन्होंने कहा कि भगवान ने इस सृष्टि का निर्माण किया और मनुष्य को सब कुछ दिया है. लेकिन मनुष्य उसका उपयोग सही ढंग से नहीं कर पाता है. यही कारण है कि वह जीवन भर दुखी रहता है. उसके दुख की वजह भौतिक साधनों की कमी नहीं है, बल्कि स्वभाव है. मनुष्य का स्वभाव सत्संग सुनने से सुधर सकता है. मनुष्य सत्संग सिर्फ सुने ही नहीं, बल्कि उसके महत्व को समझे. कथा-पुराण को भावपूर्वक सुनने से इसका सकारात्मक असर होता है. इस दौरान सत्संग प्रेमी व श्रद्धालुओं ने सत्संग भजन के बाद महाप्रसाद ग्रहण किया. मौके पर संतमत के लडडू बाबा, श्री सद्गुरु साईंनाथ सेवा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शुभम यादव, सुरेश प्रसाद, बिलास यादव, गौरव कुमार, मनीषा साईं सहित अन्य मौजूद थे.

माता-पिता से बढ़ कर दूसरा कोई भगवान नहीं है : अर्चना सिंह

शहर के पूरबटोला वार्ड 15 पांडे गली में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में वृंदावन धाम से पधारी अर्चना सिंह ने दूसरे दिन कथा वाचन करते हुए कहा कि कलियुग में भगवान का नाम ही मोक्ष का सरल साधन है. कलयुग में चार जगह अधर्म का निवास है. मदिरापान, हिंसा, वेश्यावृत्ति और जुआ. नाजायज तरह से कमाया हुआ धन से जो सोना खरीदा जाता है, उसमें भी अधर्म व कलियुग का निवास होता है. कलियुग में माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजा जा रहा है, जो सरासर गलत है. माता-पिता से बढ़ कर दूसरा कोई भगवान नहीं है. इसके लिए बच्चे को संपत्ति के साथ संस्कार भी देना अनिवार्य है. वह संस्कार संत्संग से मिलता है. इस अवसर पर मां-बाप से बढ़ कर जग में कोई दूजा नहीं खजाना भजन की प्रस्तुति की गयी. मौके पर धर्मप्रेमी तथा आयोजन समिति के सदस्य मौजूद थे.

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