जब ऋषि के दादा पृथ्वीराज कपूर की दमदार आवाज से एक माह तक गूंजा था यह पिक्चर पैलेस

चित्रशाला से जुड़े कथाकार व वरीय रंगकर्मी रंजन ने बताया कि पिक्चर पैलेश में पृथ्वी थियेटर से जुड़े 150 से अधिक आर्टिस्ट ने पैसा, पठान व शकुंतला समेत कई नाटकों का मंचन एक माह तक किया था.

By Pritish Sahay | April 30, 2020 11:14 PM

गौतम वेदपाणि, भागलपुर : देश में बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कपूर खानदान के चमकते सितारे ऋषि कपूर के निधन से शहर के कलाकार व सिनेप्रेमी शोकाकुल हैं. मुंबई के अलावा कपूर खानदान ने भागलपुर समेत आसपास के क्षेत्र में प्रोफेशनल थियेटर को जन जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. बात जनवरी सन 1952 की है, जब ऋषि कपूर के दादा पृथ्वीराज कपूर व उनके चाचा शम्मी कपूर ने अपनी अभिनय प्रतिभा का जलवा शहर के ऐतिहासिक पिक्चर पैलेस में बिखेरा था. चित्रशाला से जुड़े कथाकार व वरीय रंगकर्मी रंजन ने बताया कि पिक्चर पैलेश में पृथ्वी थियेटर से जुड़े 150 से अधिक आर्टिस्ट ने पैसा, पठान व शकुंतला समेत कई नाटकों का मंचन एक माह तक किया था.

पृथ्वी थियेटर के संस्थापक देश के जाने-माने अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने की थी. एक माह तक पृथ्वी थियेटर की प्रस्तुति को देखने के लिए पूरे शहर में दूर-दूर से लोग आकर टिकट कटाकर शो देखते थे. कथाकार रंजन ने बताया कि पृथ्वी राज कपूर की दमदार आवाज को अबतक नहीं भूल पाया हूं. खलीफाचौक स्थित पिक्चर पैलेस के सामने मेरा चित्रशाला स्टूडियो था. वहां पर पृथ्वीराज कपूर के पिता भी कई बार आकर बैठकर बातचीत करते. वहीं, निर्देशक व रंगकर्मी चैतन्य प्रकाश ने बताया कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में झांके तो 1931 में आर्देशिर ईरानी ने पहली सवाक फ़िल्म आलम आरा बनायी और सिनेमा को आवाज़ मिली. इसी फिल्म में एक अभिनेता पृथ्वी राज कपूर व उनके वंशजों ने भारतीय सिनेमा व रंगमंच को भी खूब संवारा .

पृथ्वी थियेटर से प्रेरित होकर कई ड्रामेटिक क्लब बनेबता दें कि आजादी के समय देश में पारसी थियेटर का जलवा था. ऐसे में पृथ्वीराज कपूर ने पृथ्वी थियेटर की स्थापना कर हिंदी नाटकों के प्रचार प्रसार के लिए देश के विभिन्न इलाकों में पहुंचे. इसी अभियान के तहत बिहार के विभिन्न जिले व भागलपुर समेत आसपास के इलाकों में प्रोफेशनल थियेटर व नाटकों का दौर शुरू हो गया. कपूर खानदान के इस सांस्कृतिक अभियान का गहरा असर भागलपुर के इलाकों में आज भी देखा जा सकता है. तब कई ड्रामेटिक क्लब की स्थापना का दौर चल पड़ा था. पृथ्वीराज व शम्मी कपूर ने अजगैवीनाथ की पूजा की थीसुलतानगंज इलाके के पुराने लोग आज भी पृथ्वीराज कपूर व शम्मी कपूर के आगमन की चर्चा करते नहीं थकते.

पृथ्वीराज कपूर शिवभक्त थे. उन्होंने सुलतानगंज के अजगैवीनाथ मंदिर पहुंचकर पूजा आराधना की थी. इसके बाद पृथ्वीराज कपूर व शम्मी कपूर का नयी दुर्गा स्थान स्थित द फ्रेंड यूनियन ड्रामेटिक क्लब में नागरिक अभिनंदन भी हुआ था. क्लब के वरीय कलाकार व भाजपा नेता संजय चौधरी ने बताया कि पृथ्वीराज कपूर ने एक विजिटिंग डायरी पर अपने संदेश भी लिखे थे. पंडित यमुना झा के वंशजों के पास हैं पृथ्वीराज के लिखे दस्तावेजशहर के जाने माने शास्त्रीय संगीतज्ञ पंडित नरेश झा के पुत्र व तबला वादक मिथिलेश झा उर्फ डबलू महाराज के पास पृथ्वीराज कपूर द्वारा लिखित व हस्ताक्षरित दस्तावेज आज भी सुरक्षित हैं. डबलू महाराज ने बताया कि पृथ्वीराज कपूर जब बाबा अजगैवीनाथ मंदिर में पूजा करने पहुंचे तब उनके दादाजी पंडित यमुना झा ने विधि विधान से संकल्प कराया था.

शहर के समाजसेवी सागरमल भुवानियां ने भागलपुर जाकर पृथ्वीराज कपूर को बताया था कि उत्तरवाहिनी गंगानदी के मध्य में शिवजी का प्राचीन मंदिर है. इस बात को सुनकर शिवभक्त पृथ्वीराज कपूर अपने बेटे के साथ सुल्तानगंज आये थे. डबलू महाराज ने दस्तावेज की जानकारी देते हुए बताया कि पृथ्वीराज कपूर ने लिखा कि ‘मैं अपने पिताजी, धर्मपत्नी व पृथ्वी थियेटर के आर्टिस्ट के साथ बाबा अजगैवीनाथ का दर्शन किया. यहां आकर मुझे बहुत आनंद मिला. मठ के पुजारी बाबा उच्च कोटि का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. वहीं, विद्यार्थियों को पढ़ाई में मदद करते हैं. भगवान सभी को दीर्घायु करें.’

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