पूर्वी बिहार, कोसी, सीमांचल में कब आएगा मॉनसून 2024? इस वर्ष 105 फीसदी बारिश का अनुमान
पूर्वी बिहार में जुलाई से सितंबर तक सामान्य से अधिक बारिश के संकेत, 15 जून तक भागलपुर पहुंचेगा मॉनसून, जिले में मॉनसून के दौरान औसत बारिश 1100 मिमी होती है.
गौतम वेदपाणि, भागलपुर. बीते वर्ष की तरह इस बार भी पूर्व बिहार, कोसी, सीमांचल व संथाल परगना में मॉनसून के दौरान अच्छी बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं. इस बार मॉनसून से 105 प्रतिशत बारिश का अनुमान है. जुलाई से सितंबर के बीच ज्यादा बारिश होगी. वहीं जून में औसत बारिश होगी. इस बार अच्छी बारिश होने से धान, मक्का व गन्ना जैसे खरीफ की फसल की बंपर पैदावार होगी. किसानों के चेहरे पर मुस्कान आयेगी.
भागलपुर जिले में मॉनसून के दौरान औसतन 1100 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड रहा है. स्काइमेट वेदर के अनुसार अप्रैल से मई तक तेज धूप व हीटवेव का असर रहता है. इस स्थिति में समुद्र की सतह गर्म होकर भारी मात्रा में भाप बनाती है. भारत के दक्षिणी क्षेत्र में हिंद महासागर में गर्म हवाएं अफ्रीका महादेश से टकराकर केरल की ओर बढ़ने लगती है. जो 31 मई तक केरल तट तक पहुंचकर अपने साथ जलवाष्प से परिवर्तित बादलों का झुंड साथ लाती है.
अलनीनो कमजोर हो रहा, ला-नीना की स्थिति बन रही
भारत में मॉनसून के आगमन में अभी तीन माह का समय शेष है. लेकिन हिंद महासागर में सबसे गर्म जगह विषुवत रेखा के पास ला-नीना की स्थिति बनने लगी है. वहीं अलनीनो कमजोर पड़ने लगा है. सरल भाषा में समझे तो केरल तट तक पहुंचने वाली दक्षिण पश्चिम मॉनसूनी हवाओं के साथ अगर भारी मात्रा में बादल आते हैं तो उसे ला-नीना कहा जाता है. अगर मॉनसूनी हवाओं के साथ बादल कम हो तो यह स्थिति अलीनीनो कहलाती है. दो साल पहले 2022 में अलनीनो की स्थिति बन गयी थी. इससे देशभर में औसत से काफी कम बारिश हुई थी. भागलपुर में सामान्य से आधे से भी कम बारिश हुई थी.
मॉनसून 2023 में 1425.70 मिलीमीटर बारिश हुई थी
देश में मॉनसून एक जून से 30 सितंबर तक सक्रिय रहता है. वहीं बिहार में मॉनसून का आगमन 10 से 15 जून के बीच होता है. हालांकि 2023 में भागलपुर में मॉनसून 20 जून से 13 अक्तूबर तक सक्रिय रहा था. इस दौरान 116 दिनों में भागलपुर जिले में 1425.70 मिलीमीटर बारिश हुई थी. अगस्त व सितंबर 2023 में मॉनसून की आधी बारिश हुई थी. 2022 में मॉनसून के दौरान महज 575.3 मिलीमीटर बारिश हुई थी. इससे धान की खेतीबारी पर विपरीत असर पड़ा था. जबकि 2023 में इलाके में धान की बंपर पैदावार हुई थी.
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