दीपक राव भागलपुर: मतदान के बाद मुख्य बाजार से लेकर चौक-चौराहे, चाय की दुकानों, सैलून, पार्क व मैदान में चर्चा का विषय चुनाव व प्रत्याशी ही हैं. अलग-अलग पार्टी के समर्थक अपने-अपने नेता व संबंधित पार्टी के प्रत्याशी की जीत के दावे करने में लगे हैं. इतना नहीं कई लोग ऐसे दिखे, जो खुलकर सामने नहीं आ रहे कि उन्होंने किसे मतदान किया. कूटनीति की भाषा का इस्तेमाल कर रहे और कह रहे कि कांग्रेस प्रत्याशी सह विधायक अजीत शर्मा मैं कोय दिक्कत नाय छै, लेकिन मोदी जी कै प्रधानमंत्री बनाय बास्ते अजय मंडल खराब नाय छै. विपक्षी पार्टी नै आभी तक कोय नेता कै नाम प्रधानमंत्री के लेली घोषित नाय करलै छे. इधर कोई कम वोटिंग प्रसेंटेज को ही इंडिया-महागठबंधन के लिए जीत समीकरण बताने में लगे हैं.
सैंडिस कंपाउंड में चर्चा करते दिखे लोग..
शुक्रवार को मतदान के बाद अगले दिन सैंडिस कंपाउंड में अलग-अलग उम्र के प्रौढ़ लोग अपने विचारों को अभिव्यक्त कर रहे थे. कोई कह रहा था कि वोट जैकरा देलियै ठीक छै. चार जून कै सब पता चलि जाइत्हों. हाथ ठीक छै, तै तीर भी खराब नाय छै. हुए साकै हम्मे हाथ छाप रौ बटन दबालिये, लेकिन कनियाय ने तीरो रौ बटन दबाय दैल्हे होतै. महिला सिनी कै नीतीश कुमार रौ योजना पसंद छै. इस तरह की चर्चा भी शनिवार को चलती रही.
सब पूछ रहे एक ही सवाल : केय जीततै हो
सोशल मीडिया से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर सब एक ही सवाल पूछने में व्यस्त दिखे, केय जीततै हो. अलग-अलग समाज के लोग अपने-अपने हिसाब से मतदान के बाद अपना समीकरण तैयार करने में लगे रहे. जात-जमात के गुणा-गणित के सहारे अपने समर्थित प्रत्याशी के जीत के दावे करते रहे. कई लोग महानगरों से मतदान करने नहीं पहुंच पाने का दु:ख जता रहे थे और खुद को कम प्रतिशत मतदान के लिए दोषी मान रहे थे. वे यदि आ जाते तो प्रसेंटेज वोटिंग कम नहीं होती. पूरे देश में बिहार अंतर्गत दूसरे चरण में भागलपुर की वोटिंग प्रसेंटेज की चर्चा हो रही है. इस क्रम में जीत का सेहरा किनके सिर पर सजेगा, यह सवाल जरूर हो रहा था.
विधानसभावार वोट और बढ़त पर चर्चा..
घंटाघर चौक पर अलग-अलग पार्टी के समर्थक एक-दूसरे से अपने-अपने प्रत्याशी को जीतने और हारने को लेकर चर्चा करते दिखे. इसमें एनडीए समर्थित सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि अजय मंडल को कहलगांव व पीरपैंती में जमकर मतदान हुआ. अजय मंडल शहरी क्षेत्र में ही जनता के बीच नहीं पहुंचते, लेकिन यहां घर-घर पहुंच है. वहीं अजीत शर्मा का शहरी क्षेत्र में संभ्रांत लोगों के बीच कम चर्चा हुई, लेकिन झुग्गी बस्ती से लेकर चौक-चौराहे के दुकानदारों के बीच अजीत शर्मा का समर्थन करते हुए दिखे. माय समीकरण से लेकर जात-धर्म और मोदी समर्थन को लेकर भी चर्चा हुई. इस बीच निर्दलीय या अन्य पार्टी के प्रत्याशी की कोई चर्चा नहीं हुई.
मुख्य बाजार की दुकानों पर खाली बैठकर गपियाते रहे दुकानदार
मुख्य बाजार की दुकानों पर मतदान के दूसरे दिन शनिवार होने के कारण 20 से 30 फीसदी ही ग्राहक पहुंचे. खाली बैठने के कारण दुकानदार एक-दूसरे से चुनाव को लेकर गपियाते दिखे. कोई कह रहा था कि बाजार क्षेत्र के बूथों पर भी कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा को इस बार कम मतदान नहीं हुआ, जबकि पिछले बार महागठबंधन प्रत्याशी को नहीं के बराबर मतदान हुआ था. फिर भी अधिकतर व्यवसायी एनडीए प्रत्याशी अजय मंडल के जीत के दावे करने में लगे रहे. कुछ दुकानदार यह भी कह रहे थे कि मतदान करने नहीं जाना, लेकिन जीतेगा अजय मंडल यह कैसे होगा. मालूम है मुख्य बाजार क्षेत्र में कितना प्रतिशत मतदान हुआ. इसी बीच कांग्रेस समर्थक दुकानदार ने बात को काटते हुए कहा कि मतदाता एनडीए को मतदान करके ठगा सा महसूस कर रहे. ऐसे में रोष प्रकट करने के लिए मतदान करने के लिए बूथ पर नहीं पहुंचे. फिर एक दुकानदार ने कहा कि मतदान तो करना चाहिए. कोई प्रत्याशी पसंद नहीं था, तो नोटा का बटन दबा देता.
मतदान पर बाजार बंद देख टूर पर निकल गये लोग
मतदान के दिन मुख्य बाजार से पूरा सिल्क सिटी बंद होने के कारण कई दुकानदार से लेकर नौकरी-पेशा लोग भी टूर पर निकल गये. इस दौरान बच्चों को स्कूल में छुट्टी मिल गयी. ऐसे में लगातार तीन दिनों की छुट्टी मनाने घूमने के लिए निकल गये. एक दिन मतदान की छुट्टी, दूसरे दिन शनिवार और तीसरे दिन रविवार की छुट्टी. कई लोगों का कहना था कि कोई प्रत्याशी उनके मन-मुताबिक नहीं है. ऐसे में क्या मतदान करेंगे. इससे बेहतर है कि घूम-फिरकर आ जायें.