विश्व पर्यावरण दिवस: पेड़ों के जख्म का मरहम बनी भागलपुर की युवा टोली, दीमक से लेकर कील तक से कर रहे मुक्त
भागलपुर के कुछ युवा आज पर्यावरण को लेकर बेहद जागरूक हैं और उनमें ही एक टोली है जिसने पर्यावरण की ओर अपना योगदान दिया. शहर के ही नीतेश चौबे ने इस मुहीम को शुरू किया. 243 पेड़ों में लगे दीमक को हटाकर चूना व अन्य जरूरी दवा उसमें ये टीम दे चुकी है. युवाओं की टोली बनाकर ये मुहीम चला रहे हैं.
दीपक राव, भागलपुर
मानिक सरकार घाट रोड निवासी दिवंगत निर्मल कुमार चौबे के पुत्र नितेश चौबे व उनके साथी इन दिनों में शहर के सार्वजनिक स्थानों पर लगे पेड़ों की जख्म का मरहम के रूप में उभर रहे हैं. सैंडिस कंपाउंड-जयप्रकाश उद्यान में लगे पेड़ों में सरकारी स्तर पर वन विभाग को सरकारी स्तर पर पेड़ों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है, जब लगातार सरकारी उपेक्षा के कारण पेड़ कमजोर होकर टूटने लगे और मरने लगे तो नितेश चौबे ने युवाओं की टोली बनाकर चूना व अन्य जरूरी दवा लगाकर उसे दीमक से सुरक्षित करने में लग गये. अब तक 243 पेड़ों को दीमक से सुरक्षित कर चुके हैं.
बीटेक करके नोएडा में मल्टीनेशनल कंपनी का जॉब छोड़ चुके हैं नीतेश
बीटेक करके नीतेश चौबे नोएडा में मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी भी की, लेकिन यहां उनका मन नहीं रमा. इस बीच सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने की सोच बनी. युवाओं की टोली बनाकर वी-केयर संस्था बनाकर कभी कंबल वितरण करना, कभी रक्तदान शिविर लगाना, तो कभी अन्य सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने का काम किया.
फरवरी 2021 में शुरू की प्रकृति संरक्षण की मुहिम
नीतेश चौबे ने पर्यावरण संरक्षण के लिए फरवरी 2021 में प्रकृति संरक्षण की मुहिम शुरू की. पहले सैंडिस कंपाउंड, जयप्रकाश उद्यान तो फिर विभिन्न मोहल्ले के सार्वजनिक स्थानों पर गेवियन के साथ पौधरोपण किया. जिन पेड़ों में कील ठोका रहता, उसे निकालकर उस जगह उपयुक्त दवा देकर पेड़ को सुरक्षित किया.
पेड़ों को संरक्षित करने का प्रयास
बरसात के मौसम में विभिन्न मोहल्ले, पार्क, स्कूल परिसर, मैदान में जामुन, आंवला, गुलमोहर आदि पौधे लगाये. इतना ही नहीं पौधरोपण के लिए स्कूली बच्चों व अन्य नयी पीढ़ी के युवाओं को प्रेरित भी किया. पेड़ों को संरक्षित करने के लिए प्रचार-प्रसार चलाया. खाली स्थानों पर लगे पौधे को गेवियन देकर सुरक्षित किया. अब तो उनकी टोली में लगभग 50 से अधिक युवक-युवती शामिल हो चुके हैं, जो नि:स्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य कर रहे हैं.