World heritage day: भागलपुर और समीपवर्ती जिले के आसपास के क्षेत्र धरोहर के मामले में काफी समृद्ध हैं. इन धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अभी काफी काम किया जाना शेष है. विश्व विरासत सूची में बिहार के महाबोधि मंदिर और नालंदा विश्वविद्यालय शामिल हैं.
विश्व विरासत सूची में अभी तक भागलपुर शामिल नहीं हुआ है. हालांकि, भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक कई धरोहरें बिखरी हैं. इनमें से भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व की स्थलों के रूप में भागलपुर के चार स्थानों को शामिल किया गया है.
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत आनेवाले शंकर साह विक्रमशिला महाविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ पवन शेखर ने प्रभात खबर को बताया कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्थलों की जारी सूची में भागलपुर जिले के चार स्थलों को शामिल किया गया है.
भारत सरकार ने विक्रमशिला विहार का प्राचीन स्थल अंतीचक, कहलगांव का प्रस्तर (शांति बाबा) मंदिर, पातालपुरी गुफा और बटेश्वर गुफा से सटी भूमि, पत्थरघट्टा पहाड़ी परमाधोरामपुर और प्रस्तर शिल्प पत्थरघट्टा (बटेश्वर) को शामिल किया है.
बिहार सरकार ने भी पुरास्थलों की सूची बनायी है. इस सूची में बिहार सरकार ने भागलपुर जिले के दो पुरास्थलों खेरी पहाड़ी पुरास्थल शाहकुंड और कहलगांव के महमूद शाह के मकबरे को राज्य पुरास्थल की सूची में स्थान दिया है.
इसके अलावा बिहपुर प्रखंड के गुवारीडीह ताम्रपाषाणिक स्थल और अमरपुर प्रखंड स्थित बौद्ध स्थल भदरिया को भी शामिल किया गया है. इसके बावजूद सुल्तानगंज स्थित अजगैबी पहाड़ी, मुरली पहाड़ी और जहांगीरा को अभी तक किसी सूची में स्थान नहीं दिया गया है.
प्रो डॉ पवन शेखर बताते हैं कि यह पहाड़ी पाल स्कूल ऑफ आर्ट्स का महत्वपूर्ण केंद्र होने के साथ-साथ बौद्ध केंद्र भी रहा है. उन्होंने कहा कि पूर्वी बिहार के इलाके में बिखरी पड़ी धरोहरों को भी सूची में शामिल करने के लिए सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.