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15 प्रतिशत लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या, मोबाइल भी बन रहा कारण

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस आज, मायागंज समेत अन्य अस्पतालों में होंगे आयोजन

– विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस आज, मायागंज समेत अन्य अस्पतालों में होंगे आयोजन – हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम है : कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता. मायागंज अस्पताल समेत अन्य चिकित्सा केंद्रों पर इसका आयोजन होगा. इस आयोजन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, जागरूकता फैलाने और उसके महत्व को समझने का है. मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है. जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी व मनोचिकित्सक डॉ पंकज कुमार मनस्वी ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार इस समय 15 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं. इनको मेडिसिन व काउंसिलिंग की जरूरत हैं. मानसिक रोग के कई कारण हैं. इसका एक कारण अंधाधुंध मोबाइल व सोशल मीडिया का प्रयोग भी है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टेलीमानस ऑनलाइन काउंसिलिंग केंद्र बनाये गये हैं. किसी भी प्रकार की चिंता, डिप्रेशन, तनाव व घबराहट हो तो टेलीमानस पर डायल कर अपनी काउंसिलिंग करा सकते हैं. पटना के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच समेत भागलपुर के जेएलएनएमसीएच में टेलीमानस केंद्र है. इसका नंबर 14416 है. इसका संचालन बेंगलुरु नोडल केंद्र से होता है. इस केंद्र से टेलीमानस केंद्र के काउंसलर व नोडल पदाधिकारी को प्रशिक्षित भी किया गया है. नशा, एकाकी जीवन, कॅरियर के दबाव का बढ़ रहा दायरा : मोबाइल पर बिजी लोगों का सामाजिक व पारिवारिक जीवन सिमट कर एकाकी हो रहा है. परिवार छोटा होने के कारण संवाद कम हो रहा है. मोबाइल व सोशल मीडिया के युग में लोगों का दायरा सिमट रहा है. युवाओं में नशा समेत कॅरियर की चिंता से घबराहट बढ़ रही है. वहीं बच्चों में उनके अभिभावकों, परिवार व समाज का दबाव भी मानसिक रोग का कारण है. लोगों में सहनशीलता की कमी से भी मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. पारिवारिक रिश्तों में इससे दरार आ रही है. ———————— कब मानसिक चिकित्सक से सहायता लेनी चाहिये – स्पष्ट रूप से सोचने और दैनिक कार्यकलापों को करने में कठिनाई – लोगाें के मन में बार-बार नकारात्मक विचारों का आना – आदत, मन (इच्छा) एवं एकाग्रता में अचानक परिवर्तन का होना – वैसी चीजों को देखना और सुनना जो आस पास मौजूद नहीं हो – आत्महत्या का विचार आना अथवा आत्महत्या करने का प्रयास करना – क्रोध, भय, चिंता, अपराध बोध, उदासी या खुशी की लगातार अनुभूति – बिना चिकित्सीय सलाह के औषधियों का अत्यधिक सेवन

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