Ambedkar Jayanti: जब 1951 में पटना आये थे डॉ अंबेडकर, गांधी मैदान में सभा के दौरान हुआ था पथराव

जातीय व्यवस्था, हिंदू धर्म की कुरीतियों, समानता, शिक्षा, अधिकार और सम्मान दिलाने वाले मसीहा डॉ आंबेडकर की आज जयंती है. भारतीय इतिहास के सबसे असाधारण नेता में से एक डॉ आंबेडकर का बिहार और खासकर पटना से भी जुड़ाव रहा है. वे जब छह नवंबर 1951 को बिहार आये थे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 14, 2023 5:49 AM

इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी. पटना के अंजुमन इस्लामिया हॉल में अपनी पहली और अंतिम बिहार यात्रा के दौरान बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने आयोजित सभा में कहा था कि सामाजिक अत्याचार के खिलाफ नौजवानों को संघर्ष करना होगा, तभी अन्याय और अत्याचार मिटेगा. अंबेडकर ने कहा,था: सामाजिक न्याय की मशाल जल चुकी है. हरेक युवक और युवतियां नयी सामाजिक क्रांति के प्रकाश स्तंभ हैं. इस विश्वास के साथ आगे बढ़ो कि नये समाज और भारत का तुम्हें नवनिर्माण करना है, क्योंकि तुम्हारे लिए कोई दूसरी व्यवस्था का निर्माण नहीं करेगा.

डॉ अंबेडकर छह नवंबर, 1951 की सुबह में विमान से पटना पहुंचे थे. उनके साथ डॉ सविता अंबेडकर व पीएन राजभोज थे. हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ के प्रमुख आरएल चंदापुरी, सरस्वती सिंह चंदापुरी, अमीन अहमद एमएलए व पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं ने किया था. उसी दिन पटना के गांधी मैदान में उनकी सभी हुई थी. अंबेडकर जैसे ही सभा में बोलने के लिए उठे, माइक की बिजली कट गयी. इस पर हंगामा हो गया. भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने पत्थर फेंक दिये. चंदापुरी दीवार की तरह बाबा साहब के सामने खड़े हो गये. एक पत्थर चंदापुरी की आंख के पास लगी और खून की धारा फूट पड़ी.

ऐसा माना जाता है कि बाबा साहब के विचारों से असहमत लोगों के समूह ने यह कारस्तानी की थी. बहरहाल, डॉ अंबेडकर ने कहा, मुझे इस बात से बहुत खुशी है कि महात्मा बुद्ध की पवित्र भूमि में सामाजिक क्रांति का बीज फिर से अंकुरित हो गया है. यह वही स्थान है, जहां से ज्ञान का प्रकाशन सारे विश्व में फैला था. देश के शोषितों, संगठित हो और आगे बढ़ो. वर्ण-व्यवस्था और जाति-प्रथा के कारण शूद्र, अतिशुद्र, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा है. वर्तमान सड़ी-गली सामाजिक व्यवस्था की जगह नयी व्यवस्था जब तक लागू नहीं होगी, हाशिए के लोगोें का भला नहीं हो सकता. बाबा साहब अपने पटना प्रवास के क्रम में उत्तरी मंदिरी के सरस्वती भवन में दो दिनों तक रुके थे.

बिहार-यात्रा की पृष्ठभूमि

1948 में 18 मार्च को चंदापुरी की मुलाकात डॉ अंबेडकर से हुई थी. उन्हें पिछड़ों की दयनीय स्थिति के बारे में नजदीक से सुनने का मौका मिला. उन्होंने संविधान में पिछड़ा वर्ग शब्द को जोड़ा व उनके उन्नयन के लिए संविधान में 340 वीं धारा का समावेश किया. इसी क्रम में चंदापुरी ने उन्हें बिहार आने का निमंत्रण दिया था, पर 1948 में डॉ अंबेडकर की बिहार-यात्रा टल गयी. 1951 में 27 सितंबर को बाबा साहेब ने नेहरू सरकार से इस्तीफा दिया. तब चंदापुरी उनके साथ थे. उन्होंने ही बाबा साहब को बिहार आने का न्योता दिया था. डा अंबेडकर से जुड़े कई अहम दस्तावेजों के संरक्षण किया जाना चाहिए. यह अब भी चंदापुरी शोध संस्थान के पास उपलब्ध है.

लेखक आरएल चंदापुरी के सुपुत्र हैं.

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