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बिहार : कूड़ा बिनने वाले बच्चों को पढ़ा रहे खाकी वाले शिक्षक, पांच घंटे रोजाना चलती है क्लास

II संजीत उपाध्याय II बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी लगाती है ‘मंदिर में पाठशाला’ आरा : झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी ‘मंदिर में पाठशाला’ लगाती है. इसमें खाकी वाले शिक्षक की भूमिका में रहते हैं. झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी स्टेशन के पास […]

II संजीत उपाध्याय II
बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी लगाती है ‘मंदिर में पाठशाला’
आरा : झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी ‘मंदिर में पाठशाला’ लगाती है. इसमें खाकी वाले शिक्षक की भूमिका में रहते हैं. झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के लिए आरा जीआरपी स्टेशन के पास में स्थित मंदिर में पाठशाला लगाती है. यहां पर रोजाना लगभग 40 बच्चे तक पढ़ने के लिए आते हैं. सुबह 10 बजे से मंदिर के बरामदे में स्कूल चलता है. रेल एसपी से लेकर सिपाही तक यहां आनेवाले बच्चों को पढ़ाते हैं.
इन बच्चों की कॉपी से लेकर चॉकलेट तक की व्यवस्था खुद जीआरपी वाले अपने स्तर से करते हैं ताकि इन बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सके और वे भी समाज की मुख्य धारा में जुड़ सके. डेढ़ साल पहले पटना के रेल एसपी जितेंद्र मिश्रा के निर्देश पर समाज से कटे बच्चों की पढ़ाई के लिए पहल शुरू की गयी थी जो आज भी चल रही है.
पांच घंटे रोजाना चलती है क्लास
जीआरपी की ‘पाठशाला’ में रोजाना पांच घंटे पढ़ाई होती है. जीआरपी इंचार्ज अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि नौ बजे से ही बच्चे पढ़ने के लिए आ जाते हैं लेकिन 10 बजे से पढ़ाने का काम शुरू किया जाता है और दो बजे तक चलता है. यहां पर कार्यरत कर्मी स्वेच्छा से आकर पढ़ाते हैं. आरा रेलवे स्टेशन पर तैनात सीएचआई जितेंद्र सिंह बताते हैं कि इस तरह की पहल बाकी स्टेशनों पर भी शुरू की जायेगी.
मुहिम
… अउर पढ़के रेल चलाईब आ खूब मकाइब : मंदिर में चल रहे स्कूल में अनाईठ झोंपड़पट्टी के ज्यादातर बच्चे पढ़ने आते हैं. यह इलाका ट्रेनों में होने वाले आपराधिक वारदातों के लिए बदनाम है. पढ़ने वाले विशाल कुमार ने कहा कि वह पढ़-लिखकर ट्रेन का ड्राइवर बनना चाहता है. उसने अपनी भाषा में कहा, ‘पढ़के रेल चलाईब आ खूब मकाइब’ (ट्रेन को स्पीडमें चलाना). इसी तरीके से साहिल, काजल, चिलिया कुमारी, राकेश व राजा ने कहा कि वे लाेग पढ़ लिखकर कुछ अच्छा करना चाहते हैं.
क्या कहते हैं इंचार्ज
समाज की मुख्य धारा से कटे इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यह पहल शुरू की गयी है. छोटे-छोटे बच्चे नशे के आदि हो रहे हैं. यहां आने के बाद उन्हें पढ़ाने के साथ चॉकलेट सहित अन्य खाने-पीने की चीजें दी जाती है. चॉकलेट देने का मकसद ये है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने आसपास के बच्चों को भी इस पाठशाला में आने के लिए प्रेरित करें.
अशोक कुमार सिंह, जीआरपी इंचार्ज, आरा.

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