बिहार : पुत्र खोने का गम लेकिन बेटे की शहादत पर पिता को गर्व, जानें कश्मीर में शहीद हुए बेटे के बारे क्या कहते है बाकी घरवाले
कश्मीर में शहीद हो गया पीरो का जवान, 49वीं बटालियन में था तैनात आरा/पीरो : जम्मू-कश्मीर के करननगर में आतंकी हमले में शहीद पीरो के सीआरपीएफ के जवान मोजाहिद खान के पिता अब्दुल खैर ने बताया कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया है. उसकी शहादत पर मुझे गर्व है, लेकिन पुत्र खोने […]
कश्मीर में शहीद हो गया पीरो का जवान, 49वीं बटालियन में था तैनात
आरा/पीरो : जम्मू-कश्मीर के करननगर में आतंकी हमले में शहीद पीरो के सीआरपीएफ के जवान मोजाहिद खान के पिता अब्दुल खैर ने बताया कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया है. उसकी शहादत पर मुझे गर्व है, लेकिन पुत्र खोने का भी गम है. उन्होंने कहा कि कब तक हमारे लाल सरहद पर मारे जायेंगे. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाना होगा. मेरे बेटे की सच्ची शहादत तब होगी जब भारत आतंकियों को इस देश से खदेड़ कर बाहर निकाल देगा या उन्हें नेस्तनाबूद कर देगा.
घर में छिप कर गोली चलाने लगे थे आतंकी : सोमवार की सुबह आतंकियों ने जब हमला किया, तो संतरी ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो फायरिंग शुरू कर दी. मोजाहिद ने भी मोर्चा संभाल लिया. आतंकी एक घर का सहारा लेकर गोलीबारी करने लगे. लेकिन, समय को कौन टाल सकता है, आमने-सामने की गोलीबारी में वह शहीद हो गया.
भतीजी की शादी में नवंबर में पीरो आया था
मुहर्रम के पहले अपनी भतीजी की शादी में नवंबर में घर आया था. 15 नवंबर को वह ड्यूटी के लिए वापस हैदराबाद चला गया था. ग्रामीणों और मित्रों से मिलने के बाद कार्यस्थल पर रवाना हुए थे. परिजनों ने बताया कि मो मोजाहिद हैदराबाद में 42 राजमुदरी में थे जहां से सितंबर में श्रीनगर के लिए उनकी बटालियन रवाना हुई थी.
बेहोश होकर गिर पड़ी मां : खबर मिलते ही उसकी मां हसीबा बेहोश होकर गिर पड़ी. वहीं उसकी भाभी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. मोजाहिद के पिता से मौत की खबर छिपा ली गयी थी. उन्हें बताया गया कि वह अस्पताल में भर्ती है. जैसे ही मौत की सूचना घर वालों तक पहुंची खबर आग की तरह फैल गयी. लोगों की भीड़ घर पर जुटने लगी.
2011 में मोकामा में बहाल हुआ था जवान
भोजपुर जिले के पीरो थाने के पीरो गांव निवासी राजमिस्त्री रहे अब्दुल खैर खां का पुत्र मो मोजाहिद 2011 में बहाल हुआ था. वह पटना जिले के मोकामा में सितंबर, 2011 में सीआरपीएफ की 49वीं बटालियन में भर्ती हुआ था.
केरल के पलीपुरम में ट्रेनिंग हुई. इसके बाद हैदराबाद में पोस्टिंग के बाद छह माह पहले बटालियन श्रीनगर रवाना हुई थी. 25 वर्षीय मोजाहिद बचपन से ही देशभक्ति की भावना से लबरेज था.
सोमवार की सुबह परिजनों से फोन पर की थी बात
मोजाहिद ने सोमवार की सुबह करीब 9.30 बजे परिजनों से अंतिम बार फोन किया था. उसने मां, पिता और भाभी को बताया था कि यहां गोलीबारी चल रही है. कब क्या हो जाये, कहा नहीं जा सकता है.
बात करते-करते मोजाहिद ने फोन रखने की बात करते हुए बताया कि साहब का कॉल है फायरिंग शुरू हुई है और कुछ ही देर बाद वह आमने-सामने की लड़ाई में शहीद हो गया.