चूना व्यवसायी ने गले में फंदा डालकर की खुदकुशी

नगर थाना क्षेत्र के गौसगंज मुहल्ले में हुआ हादसा तीन बच्चे का बाप बताया जा रहा है मृतक आरा : नगर थाना क्षेत्र के गौसगंज मुहल्ले में आर्थिक तंगी से परेशान चूना व्यवसायी ने मंगलवार की रात गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली. बुधवार की सुबह पंखे से लटकता हुआ शव जब परिजनों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2018 6:12 AM

नगर थाना क्षेत्र के गौसगंज मुहल्ले में हुआ हादसा

तीन बच्चे का बाप बताया जा रहा है मृतक
आरा : नगर थाना क्षेत्र के गौसगंज मुहल्ले में आर्थिक तंगी से परेशान चूना व्यवसायी ने मंगलवार की रात गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली. बुधवार की सुबह पंखे से लटकता हुआ शव जब परिजनों ने देखा तो सबके होश उड़ गये. घटना की सूचना स्थानीय थाने को दी गयी. मौके पर पहुंच कर पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी. मृतक चूना व्यवसायी जगत नारायण चौरसिया बताया जाता है, जो गौसगंज मुहल्ले का रहनेवाला है. घटना के बाद अफरातफरी मच गयी. बताया जा रहा है कि प्रतिदिन की तरह जगत नारायण चौरसिया ने अपनी दुकान बंद कर घर आया और मंगलवार की रात पूरे परिवार के साथ खाना खाकर सो गया,
लेकिन कब दूसरे कमरे में जाकर फांसी लगाकर वह पंखे से लटक गया यह पता नहीं चल पाया है. बुधवार की सुबह जब परिजनों ने दूसरे कमरे में उसे लटकते हुए देखा तो तत्काल इसकी सूचना नगर थाने को दी. नगर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच गयी और लटकते हुए शव को उतार कर उसका पंचनामा तैयार करते हुए पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. घटना के बाद पूरे परिवार में कोहराम मच गया है. मृतक के परिजनों के अनुसार जगत नारायण चौरसिया काफी दिनों से आर्थिक संकट से जूझ रहे थे
और काफी डिप्रेशन में थे. घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. पुलिस हर बिंदु पर छानबीन कर रही है. इस संबंध में नगर कोतवाल जेपी सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. मृतक की मौत पंखा से लटकने से हुई है. कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है. घटना का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है.
तीन बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया : चूना व्यवसायी जगत नारायण चौरसिया तीन बच्चों का पिता था. पिता के मौत के बाद बच्चों के सिर से पिता का साया सदा के लिए उठ गया. पत्नी और बच्चों का रोते- रोते बुरा हाल है. घटना के बाद आस पास के लोग मृतक के घर पर पहुंच कर परिवार को ढाढ़स बंधा रहे थे.

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